हाल ही में यह चर्चा शुरू हुई थी कि अगर कोई ग्राहक EMI (समान मासिक किस्त) समय पर नहीं चुका पाता है, तो आरबीआई लेंडर्स को स्मार्टफोन रिमोटली लॉक करने की अनुमति दे सकता है। इस मामले पर आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया कि फिलहाल यह केवल विचाराधीन प्रस्ताव है और इस पर कोई निर्णय अभी नहीं लिया गया है। उनका कहना था कि आरबीआई का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता अधिकार और डेटा गोपनीयता की रक्षा करना है।
गवर्नर ने बताया कि EMI भुगतान न करने पर फोन लॉक करने की बात पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनी जा रही हैं। उपभोक्ताओं के अधिकारों के साथ-साथ लेंडर्स के हितों का संतुलन बनाने का प्रयास किया जा रहा है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने भी कहा कि यह मुद्दा सावधानीपूर्वक जांचा जा रहा है और उचित समय पर निर्णय लिया जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भविष्य में ऐसी अनुमति दी भी जाती है, तो इसके लिए ग्राहक की स्पष्ट सहमति जरूरी होगी। लोन समझौते के समय ग्राहक से “डिवाइस लॉक ऐप” इंस्टॉल करने की सहमति ली जा सकती है। इस प्रक्रिया के तहत कुछ निश्चित EMI चूक जाने पर ही डिवाइस अस्थायी रूप से निष्क्रिय किया जा सकेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा कानून सीधे तौर पर इस प्रथा की अनुमति नहीं देता, जिससे यह नियामकीय अनिश्चितता के दायरे में आता है।
आरबीआई इस कदम पर विचार इसलिए कर रहा है क्योंकि छोटे-छोटे लोन, खासकर स्मार्टफोन और अन्य कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के लिए डिफ़ॉल्ट दर बहुत अधिक है। यदि लेंडर्स को डिवाइस लॉक करने का विकल्प मिल जाता है, तो यह जानबूझकर EMI चूक को रोकने में मदद कर सकता है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग एक-तिहाई कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, जिसमें स्मार्टफोन भी शामिल हैं, EMI पर खरीदे जाते हैं। पिछले साल ही आरबीआई ने लेंडर्स को चूककर्ता ग्राहकों के मोबाइल लॉक करने से रोकने का फैसला किया था।
आरबीआई ने साफ किया कि फिलहाल फोन लॉक की कोई योजना लागू नहीं है और यह केवल विचाराधीन है। गवर्नर ने भरोसा दिलाया कि उपभोक्ता अधिकार और डेटा गोपनीयता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी, साथ ही लेंडर्स के हितों की भी रक्षा की जाएगी।