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RBI ने बैंकों को दिया निर्देश, फ्रॉड के मामलों में लोन लेने वालों को दें सफाई देने का मौका

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने हाल ही में बैंकों और अन्य रेगुलेटेड एंटिटी की ओर से फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट पर रिवाइज्ड मास्टर डायरेक्शन जारी किया. इसमें बॉरोअर्स के लिए उनके अकाउंट को फ्रॉड बताने से पहले ‘नेचुरल जस्टिस’ पर सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले को शामिल किया गया है. आरबीआई ने सहकारी बैंकों, कमर्शियल बैंकों और NBFCs के लिए भी रिवाइज्ड डायरेक्शन दिया है.

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RBI ने अपने सर्कुलर में कहा कि मास्टर डायरेक्शन में अब साफ तौर पर यह जरूरी है कि रेगुलेटेड एंटिटी को बॉरोअर को फ्रॉड के रूप में निर्धारित करने से पहले टाइम बाउंड मैनर में नेचुरल जस्टिस के प्रिंसिपल्स का पालन सुनिश्चित करना होगा. RBI ने अपने सर्कुलर में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च 2023 के फैसले (भारतीय स्टेट बैंक एवं अन्य बनाम राजेश अग्रवाल एवं अन्य के मामले में सिविल अपील संख्या 7300/2022) को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है. इसमें कहा गया था कि बैंक डिफॉल्टर को सुनवाई का अधिकार दिए बिना किसी अकाउंट को एकतरफा फ्रॉड घोषित नहीं कर सकते हैं.

फ्रॉड के आरोपों की हो रही है जांच
RBI ने अपने रिवाइज्ड सर्कुलर में कहा कि सभी रेगुलेटेड एंटिटी के पास फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट पर बोर्ड अप्रूव्ड पॉलिसी होनी चाहिए. आरबीआई ने कहा कि फ्रॉड पॉलिसी में अब टाइम बाउंड मैनर से नेचुरल जस्टिस के प्रिंसिपल्स के कंप्लायंस उपाय भी शामिल करने होंगे. RBI के रिवाइज्ड नियमों के अनुसार, अब सभी रेगुलेटेड एंटिटी को उन व्यक्तियों, एंटिटी और उनके प्रमोटरों/फुल टाइम और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स को डिटेल कारण बताओ नोटिस (SCN) जारी करना होगा, जिनके खिलाफ फ्रॉड के आरोपों की जांच हो रही है. RBI ने कहा कि कारण बताओ नोटिस में उन ट्रांजेक्शन, एक्शन या घटनाओं की पूरी जानकारी देनी होगी, जिनके आधार पर फ्रॉड की घोषणा पर विचार किया जा रहा है.

जवाब देने के लिए 21 दिनों का समय
RBI के अनुसार, जिन व्यक्तियों या एंटिटी को कारण बताओ नोटिस दिया गया था, उन्हें कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए 21 दिनों का समय दिया जाएगा. बैंकों को ऐसे व्यक्तियों या एंटिटी को फ्रॉड घोषित करने से पहले कारण बताओ नोटिस जारी करने और पर्सन या एंटिटी की ओर से दिए गए जवाबों या सबमिशन की जांच करने के लिए एक मजबूत सिस्टम की जरूरत होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 के अपने फैसले में कहा था कि बैंक खातों को फ्रॉड वाले खातों के रूप में निर्धारित करने पर रिजर्व बैंक की ओर से जारी सर्कुलर में ‘ऑडी अल्टरम पार्टम’ के प्रिंसिपल्स को पढ़ा जाना चाहिए. ऑडी अल्टरम पार्टम एक लैटिन वाक्य का अंश है जिसका अर्थ है ‘दूसरे पक्ष को सुनें’, या ‘दूसरे पक्ष को भी सुनने दें.’ सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च, 2023 के आदेश में कहा गया है कि फ्रॉड पर मास्टर डायरेक्शन के तहत तय समय सीमा और अपनाई गई प्रोसेस के नेचर को देखते हुए, लोन देने वाले बैंक बॉरोअर्स को उनके खाते को फ्रॉड घोषित करने से पहले सुनवाई के अवसर दें.

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