भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने स्मॉल फाइनेंस बैंकों को कहा है कि वह छोटे कारोबारों और लेंडर्स से ज्यादा व अत्यधिक ब्याज दरें वसूल कर रहे हैं. डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने छोटे फाइनेंस बैंकों से “जिम्मेदार उधार प्रथाओं” को अपनाने और ज्यादा ब्याज दरें, ज्यादा शुल्क नहीं लेने को कहा है. उन्होंने कहा कि इन सभी बैंकों को जिम्मेदार बनाना चाहिए और कम ब्याज या शुल्क वसूल करने चाहिए. डिप्टी गवर्नर जून की मौद्रिक नीति में गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा रखे गए विचारों के बारे में बता रहे थे.
स्वामीनाथन ने हाल ही में बेंगलुरु में स्मॉल फाइनेंस बैंकों डायरेक्टर्स के सम्मेलन में अपने भाषण में कहा कि चूंकि इस तरह के लोन का लक्ष्य ग्रुप ज्यादातर समाज के हाशिए पर पड़े और वंचित वर्ग हैं, इसलिए SFB के लिए जिम्मेदार लोन देने की प्रधाओं को अपनाना आवश्यक है. उन्होंने यह भी कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में स्मॉल फाइनेंस बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका है.
ज्यादा ब्याज को लेकर डिप्टी गवर्नर ने क्या कहा?
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि कुछ SFB द्वारा ज्यादा ब्याज दरें वसूलना, एडवांस में किश्तें वसूलना और साथ ही ऐसे अग्रिम कलेक्शन को बकाया लोन के खिलाफ समायोजित न करना, ज्यादा शुल्क लगाना आदि जैसी गंभीर प्रथाओं के बारे में जानना निराशाजनक है. यह भी देखा गया है कि ज्यादातर एसएफबी में शिकायत निवारण तंत्र पर्याप्त नहीं है.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने पहले भी इसी तरह की राय जाहिर की थी. गवर्नर ने 7 जून को अपने मौद्रिक नीति में कहा था हि कुछ माइक्रोफाइनेंस संस्थानों और एनबीएफसी में भी यह देखा गया है कि छोटे प्राइस के लोन पर ब्याज दरें बहुत अधिक हैं और यह बहुत अधिक ब्याज वाली लगती हैं.
देश की इकोनॉमी में छोटे बैंकों की बड़ी भूमिका
स्वामीनाथन के अनुसार, छोटे फाइनेंस बैंकों के लिए लक्ष्य “बहुत महत्वपूर्ण” हैं क्योंकि वे वंचितों तक फाइनेंस सेवाएं पहुंचाते हैं, उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और समावेशी विकास को आगे बढ़ाने में इनकी भूमिका महत्वपूर्ण हैं, जो भारत की हाई इनकम वाली अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में प्रगति के लिए आवश्यक होगा. इस प्रकार, उन्होंने किफायती लोन तक पहुंच बढ़ाने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत लोन प्रदान करने में “सक्रिय रूप से भाग लेने” को कहा.
इन चीजों पर दिया जोर
डिप्टी गवर्नर ने छोटे बैंकों के लिए अपने गवर्नेंस मानकों में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया, उन्होंने कहा कि बैंक बोर्ड को मजबूत किया जाना चाहिए और उत्तराधिकार नियोजन उनकी कार्यसूची में सबसे ऊपर होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि SFB नए निदेशकों को लाकर अपने बोर्ड को मजबूत कर रहे हैं, लेकिन कुछ SFB अभी भी कम से कम दो पूर्णकालिक निदेशकों की उपस्थिति सुनिश्चित नहीं कर पाए हैं. मैं इन बैंकों से अनुरोध करूंगा कि वे अधिक डब्ल्यूटीडी नियुक्त करने पर शीघ्रता से विचार करें.