4 जून, 2024 को NEET-UG का रिजल्ट आया. तीसरी बार NEET का पेपर देने वाला दिल्ली का 20 साल का हर्ष झा इस बार 623 नंबर आने पर काफी खुश था. EWS कैटेगरी से आने वाला हर्ष पढ़ाई में बेहद होशियार है और इस बार उसको उम्मीद थी कि इस नंबर के साथ उसे किसी न किसी सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिल जाएगा. लेकिन हर्ष की उम्मीदों पर उस वक्त पानी फिर गया जब इस बार का कट ऑफ ही काफी ज्यादा रहा.
यानी जहां 720 में से 620 नंबर लाने वाले बच्चे को आसानी से सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिल जाता था वहीं इस साल का कट ऑफ देखकर लग रहा है कि 680 और 690 लाने वाले बच्चों को भी तेलंगाना और उड़ीसा जैसे राज्यों के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन काफी मुश्किल से मिलेगा. हर्ष रिजल्ट आने के बाद बेहद खुश था मगर अब वो बिल्कुल उदास है और उसे कुछ समझ नहीं आ रहा कि आगे क्या करे. बात करने पर उसके पिता भी काफी चिंतित दिखे क्योंकि तीसरी बार पेपर देने का मकसद ही सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई करना था क्योंकि हर्ष के पिता प्राइवेट कॉलेज का खर्च उठाने में असमर्थ हैं.
यह कहानी हर्ष की ही नहीं बल्कि ऐसे लाखों बच्चों की है जो इतने अच्छे नंबर लाकर भी समझ नहीं पा रहे कि आखिर करें क्या. हर्ष के पिता गोपाल झा बताते हैं कि इसी साल उनकी बेटी ने भी इस परीक्षा में हिस्सा लिया था जिसके 500 नंबर आए हैं, जिसको इस साल ड्रॉप आउट करके दोबारा पेपर की तैयारी करवाएंगे लेकिन हर्ष पहले ही 2 साल इस परीक्षा की तैयारी में लगा चुका है और ये उसका तीसरा प्रयास था. ऐसे में सरकारी कॉलेज की आस में हर्ष को फिर से ड्रॉप आउट कराने के अलावा उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं रहा. लेकिन सवाल ये है कि इस बार नीट एग्जाम का कट ऑफ इतना हाई क्यों गया है.
ग्रेस मार्क्स ने मचाया बवाल
दरअसल, इस बार के नीट रिजल्ट में ग्रेस मार्क्स ने सारा खेल बिगाड़ दिया है. इस पेपर में 1563 बच्चों को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं जिससे उनका रिजल्ट शानदार रहा. इस बार कुल 67 बच्चों ने इस एग्जाम में पूरे नंबर प्राप्त किए हैं जिनमें से 50 बच्चे ग्रेस मार्क्स हासिल करने वाले थे. 50 में से 44 बच्चे ऐसे थे जिन्होंने एक सवाल के अलग-अलग किताबों में अलग-अलग जवाब होने के चलते सही जवाब दिया था बाकि बच्चों को एग्जाम में वक्त बर्बाद होने की वजह से मुआवजे के तौर पर ग्रेस मार्क्स दिए गए. हालांकि NEET का एग्जाम कंडक्ट कराने वाली संस्था NTA ने इस ग्रेस मार्क्स को देने का आधार, नियम, फॉर्मूला और रेंज का कोई जिक्र किया है. ग्रेस मार्क्स देने से 1563 बच्चे फायदे में रहे जिससे 67 बच्चों को फुल मार्क्स मिले. जिससे कट ऑफ पहले के मुकाबले काफी हाई रहा.
NTA का जवाब
NTA ने बताया कि जहां 2023 में 20,38,596 बच्चों ने इस परीक्षा में भाग लिया था वहीं इस साल इस परीक्षा को देने के लिए 23,33,297 बच्चे बैठे थे. तकरीबन 3 लाख बच्चों की बढ़ोतरी भी कट ऑफ बढ़ने की एक वजह है. लेकिन परेशानी की वजह ये है कि बच्चों को 620 नंबर लाकर भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल रहा है जो पहले मिल जाया करता था. गोपाल झा जी कहते हैं कि ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले समय में 680-690 नंबर लाने वाले बच्चों को भी तेलंगाना और उड़ीसा के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन नहीं मिलेगा और गरीब बच्चों का सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने का सपना सपना ही रह जाएगा.
NTA का साथ ही ये कहना है कि हर साल के मुकाबले इस साल नंबरों का औसत भी कहीं ज्यादा का रहा. इसकी बड़ी वजह इस बार 23 लाख से ज्यादा बच्चों का एग्जाम देना था. औसत वो अंक होते हैं जो सभी उम्मीदवार औसतन लाते हैं. पिछले साल 20 लाख बच्चों के अंकों का औसत 280 के करीब था वही इस साल ये औसत बढ़कर 323 के करीब पहुंच गया है.
ग्रेस मार्क्स क्या हैं?
ग्रेस मार्क्स वो नंबर होते हैं जो बच्चे को पास कराने की स्थिति में दिए जाते हैं या कुछ ऐसी स्थितियां हैं जहां बच्चों को मुआवजे के तौर पर ग्रेस मार्क्स दिये जाते हैं. छोटी क्लास में अगर बच्चा पासिंग मार्क्स से एक-दो नंबर कम लाता है तो उसे पास कराने के लिए 1-2 नंबरों की छूट दे दी जाती है ताकि 1-2 नंबर की वजह से बच्चे का साल खराब न हो और वो पासिंग मार्क्स के साथ ही पास हो जाए.