ईरान से जंग के बाद इजराइल ने मोसाद के अधिकारियों और आम सैनिकों के लिए नया फरमान जारी किया है. इसके तहत अब सभी अधिकारियों और सैनिकों को अनिवार्य रूप से इस्लाम की शिक्षा लेनी होगी. आदेश में कहा गया है कि इसके लिए जल्द ही नए पाठ्यक्रम की शुरुआत की जाएगी.
इजराइल नेशनल न्यूज के मुताबिक अक्टूबर 2023 में जो हमास ने इजराइल पर अटैक किया था, उसकी जांच में खुफिया चूक को वजह माना गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर अधिकारियों को पहले से अरबी भाषा की जानकारी होती तो हालात कुछ और होते.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
इसलिए अनिवार्य की गई है इस्लाम की शिक्षा
गैली तजाहल ने AMAN के हवाले से बताया है कि निर्देश अधिकारियों को सुना दिया गया है. जल्द ही इसे अमल में लाया जाएगा. सरकार ने कहा है कि सभी अधिकारियों के लिए यह अनिवार्य है, चाहे उनके पद का भाषा से कोई ताल्लुकात हो न हो.
विभाग ने अगले साल तक सभी अधिकारियों को 100 फीसद इस्लामिक पाठ पढ़ाने और 50 प्रतिशत अरबी भाषा सिखाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए जल्द ही इजराइल में अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी. अनिवार्य करने की 4 मुख्य वजहें हैं-
1. इजराइल मुस्लिम देशों से घिरा हुआ है. उसके पड़ोस में जॉर्डन, तुर्किए, सऊदी, यमन और लेबनान जैसे देश हैं. जहां इस्लाम हावी है. इजराइल के अधिकांश पड़ोसी देशों में अरबी बोली जाती है. सिर्फ इजराइली में ही हिब्रू भाषा प्रचलित है.
2. इजराइल का मुख्य दुश्मन ईरान है. ईरान में प्रॉक्सी नेटवर्क के जरिए इजराइल ने हाल ही में तांडव मचाया, लेकिन उसके इस पैटर्न को ईरान अब समझ चुका है. आगे की राह को आसान करने के लिए इजराइल ने यह कदम उठाया है.
3. इजराइल में टॉप कमांडर तो लैंग्वेज की वजह से चीजों को आसानी से डिकोड कर लेते हैं, लेकिन नीचे स्तर पर उसे सफलता नहीं मिल पाती है. इस्लामिक शिक्षा और अरबी को लागू करने के पीछे इसे भी एक वजह माना जा रहा है.
4. मोसाद को असली डर हूती से है. हूती के विद्रोहियों के भाषा को मोसाद के अधिकारी आसानी से अनुवाद नहीं कर पाते हैं. इस कठिनाई को भी खत्म करने के लिए इजराइल ने यह कदम उठाया है.
सवाल- कैसे इजराइल इसे करेगा लागू?
रिपोर्ट के मुताबिक AMAN के भीतर एक नया शैक्षणिक प्रभाग बनाया जाएगा. इसमें खुफिया अधिकारियों को बारी-बारी से लैंग्वेज के बारे में जानकारी दी जाएगी. अधिकारियों को लैंग्वेज सिखाने के लिए उन अनुवादकों की मदद ली जाएगी, जो पहले से इजराइल के सरकारी विभागों में कार्यरत हैं. यह पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से गोपनीय चलने वाली है.