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सांता क्लॉज का असली चेहरा आया सामने, वैज्ञानिकों का दावा- ऐसे ही दिखते थे संत निकोलस

वैज्ञानिकों ने सांता क्लॉज का असली चेहरा विकसित करने का दावा किया है. संत निकोलस के खोपड़ी के अवशेष के सहारे फोरेंसिक पद्धति से वैज्ञानिकों ने उनका थ्री डी चेहरा विकसित किया है. साथ ही दावा किया है कि यही संता क्लॉज असली चेहरा है.

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लगभग 1700 साल बाद सांता क्लॉज का असली चेहरा सामने आया है. वैज्ञानिकों ने एक असाधारण उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने सांता क्लॉज के प्रेरणा स्रोत, संत निकोलस ऑफ मायरा का चेहरा उनकी खोपड़ी के आधार पर फिर से बनाया है. यह पहली बार है जब इस ऐतिहासिक शख्सियत का असली चेहरा देखा जा सकता है.

कौन थे संत निकोलस?
संत निकोलस मायरा के एक प्रारंभिक ईसाई संत थे. उनका जन्म तीसरी शताब्दी में हुआ था और वे अपनी उदारता और उपहार बांटने की आदत के लिए प्रसिद्ध थे. यही आदत आगे चलकर डच लोक चरित्र ‘सिंटरक्लास’ का आधार बनी, जिसे अमेरिका में सांता क्लॉज के रूप में जाना गया.

डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार जोस लुइस लीरा, जो ईसाई संतों के जीवन के विशेषज्ञ हैं और इस शोध के सह-लेखक भी हैं. उन्होंने मायरा के संत निकोलस के वास्तविक व्यक्तित्व की गहराई को समझाया. उन्होंने कहा कि संत निकोलस प्रारंभिक ईसाई धर्म के दौर में एक बिशप थे, जिन्होंने यीशु मसीह की शिक्षाओं का पालन करने और उनका प्रचार करने का साहस दिखाया, भले ही इसके लिए उन्हें अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ी.

संत निकोलस ने न केवल रोमन सम्राट सहित सत्ता के अन्याय का सामना किया, बल्कि ज़रूरतमंदों की मदद भी इतनी बार और इतनी प्रभावी ढंग से की कि जब दयालुता का प्रतीक खोजा गया, तो उनकी प्रेरणा स्वाभाविक रूप से सामने आई.

सांता क्लॉज बनने का सफर
मोरायस ने इस बात को विस्तार से समझाया कि कैसे यह प्रसिद्ध संत धीरे-धीरे एक लोक कथा बन गए, जो आज ‘सांता क्लॉज’ के नाम से जाने जाते हैं. उनकी मोटी दाढ़ी और उनके व्यक्तित्व में छिपी उदारता की झलक आज भी उस छवि में दिखती है, जो हमारे दिमाग में सांता क्लॉज की याद दिलाती है.

संत निकोलस से बन गए सांता क्लॉज
सांता क्लॉज का यह चरित्र अंग्रेजी परंपरा के ‘फादर क्रिसमस’ से भी जुड़ा है, जो मुख्यतः त्योहारों व और खेलों से संबंधित था. इनका उपहार देने से कोई संबंध नहीं था. बाद के समय में दोनों परंपराएं यानी सेंट निकोलस और फादर क्रिसमस को एक दूसरे से जोड़ दिया गया. इस तरह वर्तमान समय के सांता क्लॉज हमारे सामने आए. जिसे बच्चे क्रिसमस के मौके पर बेहद पसंद करते हैं.

क्यों महत्वपूर्ण है यह खोज?
संत निकोलस का चेहरा उनकी मृत्यु (343 ईस्वी) के बाद के कई सदियों तक के चित्रणों और कल्पनाओं पर आधारित था. उनके जीवनकाल का कोई भी चित्र उपलब्ध नहीं था. अब, आधुनिक तकनीकों और फोरेंसिक पुनर्निर्माण के माध्यम से, वैज्ञानिकों ने उनकी खोपड़ी का अध्ययन करके उनके चेहरे को सजीव रूप में प्रस्तुत किया है.

कैसा दिखता था संत निकोलस का चेहरा?
शोध के मुख्य लेखक, श्री मोरायस ने बताया कि संत निकोलस का चेहरा “मजबूत और सौम्य” था. उन्होंने बताया कि – उनकी खोपड़ी का आकार औसत से चौड़ा और मजबूत था, जो उनके चेहरे को विशिष्टता प्रदान करता है. यह उनके ऊपर लिखी एक कविता में वर्णित ‘चौड़े चेहरे’ के साथ मेल खाता है, जैसा कि 1823 की कविता ‘अ विजिट फ्रॉम सेंट निकोलस’ में कहा गया है.

फोरेंसिक तकनीक की सहायता से रिक्रिएट किया गया चेहरा
वैज्ञानिक पद्धति से रिक्रिएट किए गए इस चेहरे से पता चलता है कि संत निकोलस का व्यक्तित्व उनकी उदारता और शक्ति दोनों का प्रतीक था.संत निकोलस की खोपड़ी का उपयोग करके यह चेहरा तैयार किया गया. इस प्रक्रिया में खोपड़ी के हर हिस्से का विस्तार से अध्ययन किया गया और इसके आधार पर उनकी त्वचा की मोटाई, मांसपेशियों का आकार और चेहरे की अन्य संरचनाओं को डिजिटल तकनीकों से पुनर्निर्मित किया गया.

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
संत निकोलस का चेहरा उनके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित करता है. यह न केवल सांता क्लॉज के इतिहास को बेहतर ढंग से समझने का अवसर देता है, बल्कि इस बात पर भी जोर देता है कि कैसे एक वास्तविक व्यक्ति के व्यक्तित्व ने दुनियाभर में खुशियां बांटने वाले कैरेक्टर को जन्म दिया.

अब सिर्फ कल्पना नहीं रह गए सांता क्लॉज
संत निकोलस का चेहरा अब केवल कल्पना का विषय नहीं रह गया है. आधुनिक विज्ञान ने इतिहास के इस महान व्यक्तित्व को हमारी आंखों के सामने सजीव कर दिया है. यह खोज इतिहास, धर्म और संस्कृति के शोध में एक महत्वपूर्ण योगदान है, जो यह दिखाती है कि वास्तविकता और पौराणिक कथाएं कैसे आपस में जुड़ी होती हैं.

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