बिहार में 17 राजनीतिक दलों की मान्यता पर संकट, निर्वाचन आयोग ने दी चेतावनी, कारण बताओ नोटिस किया जारी

बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसको लेकर सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं. इस बीच चुनाव से पहले 17 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की मान्यता पर खतरा मंडरा रहा है. निर्वाचन आयोग ने इन दलों को डीलिस्टिंग की चेतावनी जारी की है. आयोग के अनुसार, इन दलों ने 2019 से अब तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ा है, जिससे उनकी सक्रियता पर सवाल उठे हैं.

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चुनाव आयोग ने सभी दलों को 15 जुलाई तक स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है. समय पर जवाब नहीं देने की स्थिति में इन दलों की मान्यता रद्द की जा सकती है. आयोग ने स्पष्ट किया है कि इन दलों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत प्राप्त विशेष लाभों का उपयोग तो हो रहा है, लेकिन उनकी चुनावी सक्रियता न के बराबर रही है. आयोग की इस कार्रवाई से राजनीतिक हलकों में हलचल

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बिहार सरकार के निर्वाचन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस साल 26 जून तक कई ऐसे रजिस्टर्ड और गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं, जिसकी विभाग के स्तर पर सूची जारी की गई है. इन दलों में भारतीय बैकवर्ड पार्टी, भारतीय स्वराज दल, भारतीय युवा पार्टी (डेमोक्रेटिक), भारतीय जनतंत्र सनातन दल, बिहार जनता पार्टी, देसी किसान पार्टी, गांधी प्रकाश पार्टी, हमदर्दी जनरक्षक समाजवादी विकास पार्टी (जन सेवक), क्रांतिकारी साम्यवादी पार्टी, क्रांतिकारी विकास दल, लोक आवाज दल, लोकतांत्रिक समता दल, नेशनल जनता पार्टी (इंडियन), राष्ट्रवादी जन कांग्रेस, राष्ट्रीय सर्वोदय पार्टी, सर्वजन कल्याण लोकतांत्रिक पार्टी और व्यावसायिक किसान अल्पसंख्यक मोर्चा शामिल हैं.

2019 से नहीं लड़ा चुनाव

निर्वाचन विभाग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि इन सभी राजनीतिक दलों के द्वारा सन 2019 से छह वर्षों में कोई भी चुनाव नहीं लड़ा गया है. जबकि रजिस्ट्रेशन के बाद लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत आयोग द्वारा रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों को कई लाभ सुविधा देय होती है.

राजनीतिक दलों को नोटिस जारी

निर्वाचन विभाग द्वारा जानकारी दी गई है कि आयोग द्वारा ऐसे राजनीतिक दलों को कारण पृच्छा संबंधित नोटिस जारी कर दिया गया है और उनका पक्ष प्राप्त करके डिलिस्ट करने की कार्रवाई की जाएगी. उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि इन सभी दलों से अनुरोध है कि वह अपने तथ्यात्मक पक्षों को साक्ष्य के साथ मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, बिहार के कार्यालय में अगले महीने की 15 तारीख तक उपलब्ध कराएं, ताकि कार्यालय स्तर से प्रतिवेदन को भारत निर्वाचन आयोग को समय पर भेजा जा सके. साथ ही उस प्रतिवेदन की प्रति ईमेल ceo_bihar@eci.gov.in पर भी भेजी जाए.

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