सूदखोर तोमर बंधुओं को हाईकोर्ट से राहत:कोर्ट ने रायपुर निगम के एक्शन पर लगाई रोक

रायपुर के चर्चित सूदखोर और हिस्ट्रीशीटर तोमर बंधुओं को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाई कोर्ट ने नगर निगम द्वारा उनके घर को तोड़ने की प्रस्तावित कार्रवाई पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई तक किसी भी तरह की जोर-जबरदस्ती नहीं की जाए. साथ ही कोर्ट ने पुलिस और नगर निगम दोनों को निर्देश दिया है कि तोमर बंधुओं के घर से जो भी दस्तावेज जप्त किए गए हैं, उनकी फोटोकॉपी बनाकर परिवार को वापस सौंप दी जाए.

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क्य है मामला?

बीते दिनों तोमर बंधुओं के दफ्तर पर बुलडोजर चलाए जाने के बाद उनके निजी मकान को लेकर भी संकट के बादल मंडराने लगे थे. रायपुर नगर निगम ने तोमर ब्रदर्स के भाठागांव स्थित घर पर नोटिस जारी कर पूछा था कि यह निर्माण बिना अनुमति के कैसे किया गया. निगम ने चेतावनी भी दी कि अगर 31 जुलाई तक जवाब और दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए तो मकान को तोड़ दिया जाएगा.

नोटिस पर हाई कोर्ट में याचिका

इस नोटिस के जवाब में सुभ्रा सिंह तोमर ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की. उन्होंने कोर्ट को बताया कि वे कोई जवाब इसलिए नहीं दे पा रही हैं क्योंकि उनके घर से संबंधित सभी दस्तावेज पुलिस और नगर निगम ने जप्त कर लिए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि दस्तावेज मांगने पर भी उन्हें वापस नहीं दिए जा रहे हैं, जिससे उन्हें एकतरफा कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है. याचिका में उन्होंने यह जानकारी भी दी कि यह मकान उन्होंने करीब 1 करोड़ रुपए के बैंक लोन से बनवाया है और इसका नक्शा और निर्माण अनुमति पूरी तरह वैध तरीके से ली गई थी.

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने सुभ्रा सिंह तोमर को 10 दिन के भीतर नगर निगम से निर्माण से संबंधित दस्तावेजों की फोटोकॉपी पाने के लिए आवेदन करने को कहा है. कोर्ट के अनुसार, नगर निगम तय शुल्क लेकर दस्तावेज उपलब्ध कराएगा. इसके बाद महिला को 15 दिन का समय दिया जाएगा ताकि वह नगर निगम को अपना जवाब प्रस्तुत कर सकेx. नगर निगम उसके बाद सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगा. हाई कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि जब तक यह पूरी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक मकान को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. किसी भी तरह की तोड़फोड़, दबाव या जोर-जबरदस्ती नहीं की जाएगी.

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