हिंदू धर्म में चैत्र का महीना बड़ा ही विशेष माना जाता है. चैत्र का महीना भक्ति से परिपूर्ण होता है. इस महीने में कई व्रत और त्योहार पड़ते हैंं. हिंदू पंचाग के अनुसार, चैत्र के महीने से हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो जाती है. चैत्र मास को मधुमास भी कहा जाता है. इस माह में पड़ने वाले व्रत और त्योहार बड़े विशेष माने जाते हैं. चैत्र के महीने से ही मौसम भी परिवर्तित होता है.
चैत्र माह से शुरु हो जाती है ग्रीष्म ऋतु
इस महीने वसंत ऋतु अपने चरम पर होती है. साथ ही इसी महीने से ग्रीष्म ऋतु भी शुरू हो जाती है. इस महीने में भगवान सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में गोचर करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि साल 2025 में चैत्र का महीना कब से शुरू हो रहा है और इसका पौराणिक महत्व क्या है.
इस साल कब से हो रही है चैत्र महीने की शुरुआत ?
होली के त्योहार यानी पूर्णिमा तिथि के समापन के बाद ही प्रतिपदा तिथि शुरू हो जाती है. इसी तिथि की शुरुआत से चैत्र का महीना आरंभ हो जाता है. साल 2025 में प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 15 मार्च से हो रही है. ये कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी. इस दिन शनिवार है. यानी साल 2025 में 15 मार्च से चैत्र के महीने की शुरुआत हो जाएगी. वहीं ये महीना 12 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा.
चैत्र माह का पौराणिक महत्व
नारद पुराण में बताया गया है कि चैत्र के महीने में ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचना का काम प्रारंभ किया था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी महीने में भगवान विष्णु मत्स्य रूप में अवतरित हुए थे. चैत्र माह इसलिए भी विशेष माना जाता है क्योंकि त्रेता युग में इसी महीने में भगवान राम का राज्याभिषेक अयोध्या के राजा के रूप में संपन्न हुआ था. पापमोचनी एकादशी का व्रत भी चैत्र माह में ही रखा जाता है.
ये व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष के 11वें दिन रखा जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में ये एकादशी अन्य सभी एकदाशियों में सबसे श्रेष्ट बताई गई है. इसी महीने में पहली प्रत्यक्ष नवरात्रि पड़ती है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है. इस महाने में ही उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रमी संवत की शुरुआत की थी.