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समानता के प्रतीक हैं धार्मिक स्थल, यहां बंद हो VIP कल्चर… बोले उपराष्ट्रपति धनखड़

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार धार्मिक स्थलों पर होने वाली वीआईपी व्यवस्था को लेकर बयान दिया. उन्होंने कहा कि वीआईपी व्यवस्था समानता के सिद्धांत के खिलाफ है और इसे धार्मिक जगहों से पूरी तरह समाप्त कर देना चाहिए.

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उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि धार्मिक स्थल समानता के प्रतीक हैं, जहां हर व्यक्ति ईश्वर के सामने बराबर होता है. वहीं उन्होंने जोर देकर ये भी कहा कि वीआईपी दर्शन की अवधारणा भक्ति के खिलाफ है. यह एक असमानता का उदाहरण है, जिसे तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए. वहीं, उन्होंने धर्मस्थलों पर समानता को स्थापित करने की बात कही.

धर्मस्थलों पर विकास की सराहना की

धनखड़ ने अपने संबोधन कहा कि धार्मिक स्थलों को समानता के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए. जब किसी को विशेषाधिकार दिया जाता है, या वीआईपी या वीवीआईपी का दर्जा दिया जाता है, तो यह समानता के विचार का अपमान है. इस दौरान उन्होंने कर्नाटक के एक धर्मस्थल का उदाहरण भी बताया, जो समानता का संदेश देता है.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कई सालों में धार्मिक स्थलों के बुनियादी ढांचे के विकास में एक सकारात्मक बदलाव आया. वहीं, उन्होंने कहा कि ये विकास केवल भौतिक सुधार नहीं हैं, बल्कि हमारी सभ्यता और सांस्कृतिक मूल्यों को सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण कदम भी हैं.

राजनीतिक कटुता से ऊपर उठने की अपील

धर्मस्थल पर आयोजित कार्यक्रम में धनखड़ ने नेताओं से राजनीति में कटुता से बचने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि राजनीति का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना नहीं होना चाहिए. सत्ता महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इस दौरान उन्होंने भारत की विविधता और उसकी एकता पर बल दिया.

वीआईपी व्यवस्था की कोई जगह नहीं

धर्मस्थलों पर वीआईपी व्यवस्था को समाप्त करने के अपने आह्वान में, उपराष्ट्रपति ने इस संस्कृति को धार्मिक स्थलों की मूल भावना के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों पर सभी भक्तों को समान दर्जा दिया जाना चाहिए, क्योंकि ईश्वर के सामने कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है. आगे उपराष्ट्रपति ने कहा कि धार्मिक स्थलों का विकास समानता और समरसता के आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए किया जाना चाहिए.

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