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‘मंदिर हो या दरगाह… सड़क के बीच धार्मिक संरचना बाधा नहीं बन सकती’, बुलडोजर केस में SC की सख्त टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने पब्लिक प्लेस पर बने मंदिर, मस्जिद या किसी दूसरे धार्मिक स्थान को हटाने को लेकर सख्त टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं और हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों. बेशक, सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण के लिए हमने कहा है कि अगर यह सार्वजनिक सड़क या फुटपाथ या जल निकाय या रेलवे लाइन क्षेत्र पर है, तो हमने स्पष्ट कर दिया है. अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है, चाहे वह गुरुद्वारा हो या दरगाह या मंदिर यह सार्वजनिक बाधा नहीं बन सकती.

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सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि चाहे मंदिर हो, दरगाह हो या अन्य कोई धार्मिक स्थल हो, जहां जनता की सुरक्षा की बात हो और पब्लिक प्लेस पर हो तो उसे हटाना होगा. जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है. वहीं सुनवाई के दौरान जस्टिस केवी विश्वनाथन ने कहा कि अगर उल्लंघन करने वाले दो स्ट्रक्चर हैं और सिर्फ 1 के खिलाफ ही कार्रवाई की जाती है तो सवाल उठता है.

जस्टिस गवई ने कहा,’हम ये साफ कर देना चाहते हैं कि सिर्फ इसलिए तोड़फोड़ नहीं की जा सकती, क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी या दोषी है. साथ ही, इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि तोड़फोड़ के आदेश पारित होने से पहले भी एक सीमित समय होना चाहिए. साल में 4 से 5 लाख डिमोलिशन की कर्रवाई होती हैं. पिछले कुछ सालों का यही आंकड़ा है.’

सॉलीसिटर जनरल ने कहा कि इनमें से मात्र 2% के बारे में हम अखबारों में पढ़ते हैं, जिसको लेकर विवाद होता है. जस्टिस गवई ने इस पर मुस्कुराते हुए कहा बुल्डोजर जस्टिस! उन्होंने कहा कि हम निचली अदालतों को निर्देश देंगे कि अवैध निर्माण के मामले में आदेश पारित करते समय सावधान रहें.

SG मेहता ने सुनवाई के बीच कहा कि हिंदू-मुस्लिम की बात क्यों आती है. वे हमेशा अदालत में जा सकते हैं, इसमें भेदभाव कहां हैं. जस्टिस विश्वनाथ ने सुनवाई के दौरान कहा कि इसके लिए कुछ समाधान खोजना होगा, जैसे न्यायिक निरीक्षण किया जाए. मीडिया में प्रचारित कुछ घटनाओं को छोड़कर कोर्ट वइसके लिए एक सामान्य कानून बनाए जाने पर विचार करे.

 

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