फिल्मी दुनिया से शोषण की खबरें आती रहती हैं. लेकिन ये इतनी आम हो जाएं कि किसी का काम करना मुश्किल हो जाए तो बात चिंता करने वाली है. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का हाल कुछ इसी तरह है ये हम नहीं एक रिपोर्ट में सामने आया है. जस्टिस हेमा कमिटी की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक कई एक्ट्रेसेज ने अपने बयान में बताया है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में धड़ल्ले से एक्ट्रेसेज का शोषण होता है. वहां हीरो का बोलबाला है.
काले सच से उठा पर्दा!
पूरे पांच साल बाद आई 295 पन्नों की इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इस रिपोर्ट ने हर किसी को हैरान कर दिया है, सोचने पर मजबूर है कि आखिर ये अब तक किसी के सामने क्यों नहीं आया था. ये वही इंडस्ट्री है जिसने देश को मोहनलाल, ममूटी, फहाद फाजिल जैसे नामचीन एक्टर्स दिए हैं.
रिपोर्ट में यौन शोषण से लेकर कास्टिंग काउट, हैरेसमेंट तक पर बात की गई है. मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की हालत कितनी बदतर है इस पर पूरी रोशनी डाली गई है. हेमा समिति की रिपोर्ट के मुताबिक फिल्म इंडस्ट्री में हीरो की मर्जी से ही कोई भी काम किया जाता है. हीरोइन की बिल्कुल नहीं सुनी जाती. इस रिपोर्ट में इंडस्ट्री के बिग शॉट्स का एक बड़ा ग्रूप शामिल है, जिसमें प्रोड्यूसर्स, डायरेक्टर्स और एक्टर्स सभी शामिल हैं. वो तय करते हैं कि किसे फिल्म में काम देना चाहिए और किसे नहीं.
इसमें कहा गया है, ‘कोई भी पुरुष या महिला ऐसा कोई शब्द बोलने की हिम्मत नहीं करता है जो शक्तिशाली ग्रुप से संबंधित किसी व्यक्ति को अपमानित कर सकता है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति को पावरफुल लॉबी इंडस्ट्री से हटा देती है.’
महिलाओं के साथ होती है प्रताड़ना
रिपोर्ट में शामिल फैक्ट्स को देखकर महिलाओं की सेफ्टी से जुड़ी चिंताएं पैदा हो गई हैं. जस्टिस हेमा समिति की मच-अवेटेड रिपोर्ट, 2019 में सरकार की नियुक्त की पैनल ने विस्फोटक डिटेल्स सामने रखी हैं.
पैनल का कहना है कि- एविडेंस से ये सामने आया है कि सिनेमा में कुछ पुरुष जो एक्टर, डायरेक्टर-प्रोड्यूसर या फिल्म इंडस्ट्री में जो भी हो, के रूप में अपनी पावर के लिए जाने जाते हैं और प्रतिष्ठित हैं. उन्होंने सिनेमा में कुछ महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और शारीरिक छेड़छाड़ करके उन्हें सदमे में डाल दिया है. इस रिपोर्ट की कॉपी सरकार के बाद आरटीआई एक्ट के तहत मीडिया को भी सौंप दी गई है.
रिपोर्ट में मलयालम सिनेमा में महिलाओं के प्रति एक गलत नजरिए को भी देखा गया और इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच सिंड्रोम की भी पुष्टि की गई. रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्देशक और मेकर्स अक्सर महिलाओं पर शोषणकारी स्थितियों के लिए दबाव डालते हैं. जो महिलाएं उनकी शर्तों से सहमत होती हैं, उन्हें कोड नाम से बुलाया जाता है ‘सहयोगी कलाकार.’ रोल्स के लिए अपनी ईमानदारी से समझौता करने वाली महिलाओं के कई बयान सामने आए हैं.
सामने आए यौन उत्पीड़न के मामले
चौंकाने वाले और शर्मनाक खुलासों की एक सीरीज में कहा गया है कि महिलाओं को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसमें फिल्म इंडस्ट्री में नशे में धुत व्यक्तियों के उनके कमरों के दरवाजे खटखटाने के मामले भी शामिल हैं. इसमें कहा गया है कि यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली कई एक्ट्रेसेज डर के कारण पुलिस में शिकायत करने से हिचकिचाती हैं.
रिपोर्ट में लिखा गया है कि ये चकाचौंध से भरी दुनिया है. दूर से सब सही लगता है लेकिन अंदर से पूरी घिनौनी है. रिपोर्ट की शुरुआत में ही लिखा गया है कि जो आप देखते हैं उस पर भरोसा ना करें क्योंकि दूर से नमक भी चीनी जैसा लगता है. इंडस्ट्री में सबसे बड़ी समस्या जो एक्ट्रेसेज फेस करती हैं वो सेक्शुअल हैरेसमेंट है. और इसी पर बात करने से हिचकिचाती भी हैं.
फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों की जांच करने के लिए ‘वुमेन इन सिनेमा कलेक्टिव’ की याचिका के बाद केरल सरकार ने 2017 में जस्टिस हेमा समिति की स्थापना की थी. एक्ट्रेस रंजिनी उर्फ साश सेल्वराज उन एक्ट्रेसेज में शामिल थीं जिन्होंने इस रिसर्च के तहत समिति को बयान दिया था.