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सलमान रुश्दी की किताब से बैन हटने पर मुस्लिम संगठनों में नाराजगी, सरकार से की ये मांग

देश में 36 साल बाद सलमान रुश्दी की विवादास्पद किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ की बिक्री एक बार फिर शुरू हो चुकी है. इसकी बिक्री पर मुस्लिम संगठनों ने नाराजगी जताई है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने भी इस पर पाबंदी लगाए रखने की अपील की है. 1988 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने इस बुक के खिलाफ लगी याचिकाओं पर कार्यवाही बंद कर दी गई है. कोर्ट ने कहा कि उस समय की धारणा कुछ और थी आज के समय में ऐसा कुछ नहीं है.

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सलमान रुश्दी की किताब के खिलाफ लोगों में इतना आक्रोश बढ़ गया था कि न्यूयॉर्क में एक व्याख्यान के दौरान मंच पर उन पर चाकू से हमला किया गया था, जिससे उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी.

बिक्री दोबारा शुरू करना उकसावे की कोशिश- काब रशीदी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम) की उत्तर प्रदेश इकाई के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने इस बुक को लेकर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि भारत के संविधान की बुनियाद पर देखें तो अभिव्यक्ति की आजादी आपका अधिकार है मगर इसमें यह तो कहीं नहीं लिखा है कि आप किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना. सैटेनिक वर्सेज किताब की बिक्री दोबारा शुरू करना उकसावे की कोशिश है. इसे रोकना सरकार की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसकी इजाजत देती है तो यह संवैधानिक कर्तव्यों से मुंह मोड़ने के जैसा होगा.

उन्होंने आगे कहा कि मुसलमान अल्लाह और पैगंबर को अपनी जान से भी ज्यादा प्यारा मानते हैं, और ऐसे में इस विवादास्पद किताब को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

काब रशीदी ने कहा कि मुस्लिम अल्लाह और रसूल को अपनी जान से ज्यादा प्यारा मानते हैं. ऐसे में सैटेनिक वर्सेज को वह कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे. सरकार से अपील है कि वह संविधान के मूल्यों और आत्मा की रक्षा करे और इस किताब पर फिर से प्रतिबंध लगाए, क्योंकि यह देश के एक बड़े तबके की भावनाओं को ठेस पहुंचती है. सरकार ने संविधान की शपथ ली है लिहाजा इस किताब पर पाबंदी लगाना उसका फर्ज भी है.

कुछ ही स्ट्रोर्स पर उपलब्ध है बुक

सलमान रुश्दी की विवादास्पद किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ कुछ ही जगहों पर उपलब्ध है. इसका सीमित स्टॉक है. पुस्तक की सामग्री और इसके लेखक को विश्व स्तर पर भारी विरोध का सामना करना पड़ा. तो कई मुस्लिम संगठनों ने इसे ईशनिंदा करार दिया है.

किताब पर प्रतिबंध लगाने की उठी मांग

ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने भी इस बुक को लेकर निंदा की है. उन्होंने कहा कि शिया पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से मैं अपील करता हूं. किताब इस्लामी विचारों का मजाक उड़ाती है.

उन्होंने कहा कि पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों का अपमान करती है और भावनाओं को आहत करती है. इसकी बिक्री की अनुमति देने से देश की सद्भावना को खतरा है। मैं प्रधानमंत्री से भारत में इस किताब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आग्रह करता हूं

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि पैगंबर मुहम्मद और कई इस्लामी हस्तियों का अपमान करती है. इसकी सामग्री इतनी आक्रामक है कि इसे दोहराया नहीं जा सकता. इस पुस्तक को बाजार में अनुमति देने से देश का माहौल खराब हो जाएगा. कोई भी मुसलमान किसी भी किताब की दुकान की शेल्फ पर इस घृणित पुस्तक को देखना बर्दाश्त नहीं कर सकता.

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