रिटायर्ड-GM को डिजिटल-अरेस्ट कर 2.83 करोड़ ठगे:दुबई से कॉल, कंबोडिया भेजी रकम; फर्जी कंपनियों से भारत ट्रांसफर करवाए रुपए, UP से 5 ठग गिरफ्तार

रायपुर में एक महिला को डिजिटल अरेस्ट कर 2 करोड़ 83 लाख रुपए की ठगी की गई। महिला प्राइवेट कंपनी में जनरल मैनेजर के पोस्ट से रिटायर हुई है। पुलिस ने सोमवार को उत्तर प्रदेश से 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ठगों ने रुपए ट्रांसफर करने 40 से ज्यादा फर्जी कंपनी बनाई थी। आरोपियों के खातों में 43 लाख रुपए होल्ड कराए गए हैं।

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मामला विधानसभा थाना क्षेत्र का है। पीड़िता सोनिया हंसपाल ने शिकायत दर्ज कराई थी कि, अज्ञात मोबाइल नंबरों से कॉल कर आरोपियों ने खुद को दिल्ली साइबर विंग का अधिकारी बताया था। उसे धमकाते हुए वॉट्सऐप वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट कर दिया गया। 21 मई से 10 जुलाई 2025 के बीच 2 करोड़ 83 लाख रुपए ट्रांसफर करा लिए।

जांच में सामने आया कि कॉल दुबई से किया गया था। ठगी की रकम US डॉलर में एक्सचेंज कराकर कंबोडिया भेजी गई। जहां से फर्जी कंपनियों के जरिए रुपए वापस भारत भेजे गए। आरोपी आनंद ने ठगी करने के लिए 15 से ज्यादा लोगों को दुबई भेजा है। हर महीने नया सिम कार्ड दुबई भेजा रहा है।

UP के 3 जिलों में छापेमारी, 5 आरोपी पकड़ाए

रायपुर SSP लाल उम्मेद सिंह ने बताया कि ऑपरेशन साइबर शील्ड के तहत एक्शन लिया गया। पुलिस ने आरोपियों की लोकेशन उत्तर प्रदेश में लोकेट किया। इसके बाद रायपुर पुलिस की टीम देवरिया, गोरखपुर और लखनऊ जिले में छापेमारी की। 3 जिलों से 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

SSP ने बताया कि, UP के आरोपियों ने देशभर में ठगी के लिए 40 से ज्यादा फर्जी कंपनियां बनाई थीं। इनमें श्री नारायणी इंफ्रा डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड, श्री गणेशा डेवलपर्स, अर्बन एज इंफ्रा बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड, पावन धरा इंफ्रा बिल्डकॉन, स्नो हाइट्स कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और आनंद ट्रेडर्स शामिल हैं।

PNB का CSC सेंटर चलाता है आरोपी आनंद

पुलिस ने बताया कि आरोपी आनंद सिंह देवरिया में पंजाब नेशनल बैंक का ग्राहक सेवा केंद्र (CSC) भी संचालित करता है। आरोपी आकाश साहू और शेर बहादुर सिंह मोबाइल सिम का इंतजाम करते थे।

इसके साथ ही आरोपी अनूप मिश्रा, नवीन मिश्रा और आनंद सिंह ने 40 से ज्यादा फर्जी कंपनियां बनाई थीं। इन कंपनियों के जरिए बैंक खातों में ठगी की रकम ट्रांसफर कर निकाली जाती थी। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के खातों में ठगी के 43 लाख रुपए को होल्ड कराया है।

वहीं आरोपियों के कब्जे से बैंक खाता दस्तावेज, चेकबुक, सिम कार्ड और मोबाइल बरामद किए गए हैं। मामले में अन्य आरोपी अभी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है। पुलिस आरोपियों की अर्जित संपत्ति का भी पता लगाकर उसे अटैच करने की कार्रवाई करेगी।

मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाने की धमकी देकर ठगा

जानकारी के अनुसार सोनिया हंसपाल को दिल्ली पुलिस के नाम से दुबई से वॉट्सऐप पर वीडियो कॉल आया था। ठग ने महिला से कहा कि उसके आधार कार्ड से कई बैंक अकाउंट खुले हैं, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग की गई है।

उसने महिला को झांसे में लेते हुए कहा कि आपको कुछ पैसे आरटीजीएस (RTGS) के जरिए ट्रांसफर करने होंगे, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक से वेरिफाई करवा कर रकम वापस कर दी जाएगी।इस दौरान महिला ठग की बातों में आ गई और डर के मारे उसके कहे अनुसार काम करने लगी।

महिला को 50 दिनों तक अलग-अलग नंबर से कॉल किया गया। उनसे पैसा जमा कराया गया। वह पैसा केरल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, चंडीगढ़ और दिल्ली के खाते में जमा हुआ। वहां से पैसा यूपी के एक खाते में गया है।

रुपए US डॉलर में एक्सचेंज कराकर कंबोडिया भेजा

फिर पैसे को यूएस डॉलर में एक्सचेंज कराकर कंबोडिया भेज दिया गया। वहां अलग-अलग फर्जी कंपनियों के माध्यम से पैसा वापस भारत आया। इस तरह ठगी की अवैध कमाई वैध हो रही है। उसे फिर ठग कारोबार में लगा रहे हैं।

डीएसपी क्राइम संजय सिंह ने बताया कि यूपी देवरिया निवासी आनंद सिंह बीए की पढ़ाई किया है। वह हार्डवेयर दुकान के साथ पंजाब नेशनल बैंक का ग्राहक सेवा केंद्र चलाता है। इसके पहले वह एक सेंटर में काम करता था, जो लोगों का पासपोर्ट और वीजा बनाता था। फिर खुद भी वहीं काम करने लगा और लोगों को विदेश भेजने लगा।

आनंद ने 15 से ज्यादा लोगों को दुबई भेजा

इसी दौरान वह कुछ ठगी करने वाले गिरोह के संपर्क में आया। फिर खुद का गिरोह बना लिया। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि ठगी करने के लिए आनंद ने 15 से ज्यादा लोगों को दुबई भेजा है। उन्हें हर माह 40-40 हजार रुपए वेतन और रहने-खाने का खर्च देता है। उनका पासपोर्ट, वीजा और एयर टिकट खुद कराया है।

अलग-अलग कारोबार के नाम से पैसा वापस आया

आनंद का कनेक्शन कंबोडिया में रहने वाले कुछ लोगों से है, जो साइबर ठगी करते हैं। आनंद ठगी का पैसा एक्सचेंज कर कंबोडिया भेज देता है। फिर अलग-अलग कारोबार के नाम से पैसा वापस भारत आता है। आनंद ने कई फर्जी कंपनियां बनाई है, जो विदेश में सेवा देती है। ऐसा उसने दस्तावेजों में दिखाया है। उसकी के आड़ पर वह ठगी के पैसों को खाते में लेता है।

हर महीने दुबई भेजा जा रहा नया सिम कार्ड

गोरखपुर निवासी आकाश साहू सिम कार्ड की व्यवस्था करता है। वह गांव-गांव में निजी टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी बनकर घूमता है। झोपड़ी में रहने वाले या बेघर लोगों के नाम से वह सिम कार्ड खरीदता है। फिर उसे दुबई भेज देता है। उसी नंबर से लोगों को कॉल कर झांसा दिया जाता है।

आकाश को सिम की व्यवस्था करने के लिए 2 लाख रुपए दिया गया है। नवीन मिश्रा और अनूप मिश्रा दोनों फर्जी कंपनी रजिस्टर कर करंट अकाउंट खोलते हैं। इसी खाते में ठगी का पैसा लिया जाता है। दोनों को इस काम के लिए 90 लाख रुपए मिले हैं। शेर बहादुर, दुबई भेजने के लिए लड़कों की व्यवस्था करता है। वही ठगी का पैसा निकालकर आनंद को देता है। शेर बहादुर को 10 लाख रुपए मिला है।

बैंक के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध

पुलिस को शक है कि बैंक में काम करने वाला कोई व्यक्ति ठगों से जुड़ा हुआ है। वहीं से लोगों का मोबाइल नंबर लीक हो रहा है। क्योंकि ठग उम्रदराज या सिंगल व्यक्ति को फोन कर रहे हैं, जिनके खाते में बड़ी रकम जमा है। उन्हीं लोगों को फोन कर झांसा दिया जा रहा है। चुनिंदा लोगों का नंबर और जानकारी कैसे ठगों तक जा रही है। इसकी जांच की जा रही है।

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