रायपुर। छत्तीसगढ़ के नान घोटाला केस के आरोपी रिटायर्ड IAS आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने ED कोर्ट में सरेंडर किया। कोर्ट ने दोनों को चार सप्ताह की ED कस्टडी में भेजते हुए 16 अक्टूबर तक दिल्ली के ED हेड ऑफिस में पूछताछ करने का आदेश दिया। आरोपियों को सरेंडर कराने के लिए वे पिछले पांच दिनों से ED कोर्ट के चक्कर लगा रहे थे।
आलोक शुक्ला सोमवार को तीसरी बार कोर्ट पहुंचे, जहां ED अधिकारियों की मौजूदगी में सरेंडर की प्रक्रिया पूरी की गई। कोर्ट के बाहर सुरक्षा के लिए CRPF जवान तैनात रहे। इसके बाद दोनों आरोपियों को ED की टीम रायपुर एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए रवाना करेगी।
नान घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रायपुर की ED कोर्ट ने सुनवाई की। आरोपियों को हाईकोर्ट से मिली अग्रिम जमानत रद्द कर दी गई और ED हिरासत में भेजा गया। सुप्रीम कोर्ट ने ED को तीन महीने और EOW को दो महीने में जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि लंबित मामलों का निपटारा समय पर होना चाहिए।
नान घोटाला केस में शिकायतें नागरिक आपूर्ति निगम के चावल, नमक और अन्य खाद्य पदार्थों के परिवहन व भंडारण में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के संबंध में आई थीं। ACB और EOW ने 12 फरवरी 2015 को नान मुख्यालय और अन्य 28 स्थानों पर छापेमारी की। कार्रवाई के दौरान रायपुर स्थित मुख्यालय से पौने दो करोड़ रुपए से अधिक नगदी बरामद हुई। कुल मिलाकर लगभग 3.50 करोड़ रुपए जब्त किए गए।
जांच के बाद ACB ने नान के मैनेजर समेत 16 लोगों के खिलाफ चालान पेश किया। चालान में 213 गवाह बनाए गए। आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा के खिलाफ केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद पूरक चालान पेश किया गया।
आलोक शुक्ला उस समय खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव थे, जबकि अनिल टुटेजा नान के MD थे। दोनों पर 2015 में हुई आर्थिक अनियमितताओं और जांच प्रभावित करने की कोशिश का आरोप है।
आरोपियों के ED हिरासत में होने से अब जांच एजेंसियों को पूरे मामले की गंभीरता से जांच पूरी करने का मौका मिलेगा। इससे न केवल कोर्ट में सबूत मजबूत होंगे, बल्कि लंबित मामलों का समय पर निपटारा भी सुनिश्चित होगा।