दुनियाभर की जानी-मानी ऑटोमोबाइल कंपनी Renault में बड़े पैमाने पर छंटनी की तैयारी चल रही है। कंपनी ने लागत घटाने और उत्पादन दक्षता बढ़ाने के लिए करीब 3000 कर्मचारियों की नौकरी खत्म करने की योजना बनाई है। यह कदम ऐसे समय पर उठाया जा रहा है जब ऑटो सेक्टर वैश्विक आर्थिक दबाव और इलेक्ट्रिक वाहन बाजार की बढ़ती प्रतिस्पर्धा से जूझ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, छंटनी की प्रक्रिया सबसे पहले यूरोप से शुरू की जाएगी, जहां Renault के कई पुराने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स कम उत्पादन क्षमता पर चल रहे हैं। कंपनी ने एक आंतरिक रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा आर्थिक हालात, कच्चे माल की बढ़ती कीमतें और इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा में तेज़ी से बदलती तकनीक के कारण यह कदम उठाना अनिवार्य हो गया है।
Renault के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी का लक्ष्य “ऑपरेशनल एफिशिएंसी” बढ़ाना है ताकि आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के उत्पादन पर अधिक ध्यान दिया जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि प्रभावित कर्मचारियों को पुनर्वास पैकेज और वैकल्पिक रोजगार सहायता दी जाएगी।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला कंपनी के लिए अल्पकालिक राहत तो देगा, लेकिन इससे कर्मचारी असंतोष और निवेशकों के बीच चिंता बढ़ सकती है। वहीं, यूनियनों ने इस कदम का विरोध शुरू कर दिया है और कहा है कि कंपनी को बिना किसी चेतावनी के इतने लोगों की नौकरी नहीं छीननी चाहिए।
Renault ने हाल के वर्षों में कई देशों में अपनी उत्पादन इकाइयों में सुधार और लागत कटौती की नीति अपनाई है। हालांकि, इस बार की छंटनी कंपनी की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।
जानकारों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर ऑटो उद्योग फिलहाल संक्रमण के दौर से गुजर रहा है, जहां पारंपरिक पेट्रोल-डीजल वाहनों से इलेक्ट्रिक तकनीक की ओर तेज़ी से बदलाव हो रहा है। ऐसे में Renault का यह कदम भविष्य की प्रतिस्पर्धा के लिए खुद को तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, लेकिन इससे हजारों परिवारों की रोज़ी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है।