रजिस्ट्री में क्रन्तिकारी सुधारः मंत्री ओपी चौधरी ने किया रिव्यू, पढ़िए क़्या होंगे वो 10 बदलाव….

रायपुर। मंत्री ओपी चौधरी द्वारा पंजीयन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विगत वित्तीय वर्ष मे किये गये कार्यों की समीक्षा की गई। जिसमें मुख्य रूप से प्राप्त राजस्व आय, पंजीबद्ध दस्तावेजों तथा मुदांक एव आरआरसी प्रकरणों के विषय में जिलेवार चर्चा की जाकर विभाग में प्रचलित तकनीकी सेवाओं के संबंध में अधिकारियों से फील्ड लेवल पर आ रही समस्याओं को सुना गया तथा और सुविधाजनक बनाये जाने के संबंध में सुझाव लिये गये।

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1- आधार आधारित प्रमाणीकरण सुविधा – वर्तमान में पंजीयन कार्यालय में पक्षकारों की शिनाख्ती (पहचान) दो गवाह के द्वारा की जाती है। संपत्तियों के पंजीयन में छद्म प्रतिरूपण एक बहुत आम समस्या है। अक्सर देखने में आता है, कि अमुक व्यक्ति की संपत्ति दूसरे व्यक्ति ने बेच दिया है। इससे वास्तविक भूमि स्वामी को सालों कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते है। आधार लिंक होने से बायोमैट्रिक के माध्यम से पक्षकार की पहचान आधार डाटा बेस से की जाएगी।

 

2- ऑनलाईन सर्च एवं डाउनलोड की सुविधा – आम आदमी वर्षों की जमा पूंजी लगाकर स्वयं का घर खरीदते है, इसलिए संपत्ती खरीदने से पहले पूरी जांच पड़ताल आवश्यक है। अभी रजिस्टी की जानकारी के लिए पंजीयन कार्यालय में स्वयं या वकील के माध्यम से उपस्थित होकर सर्च करना पड़ता है, इस प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जा गया है । आम आदमी के लिए यह एक जरूरी सुविधा है। संपत्ती खरीदने से पहले उसकी भलि-भांति जांच पड़ताल पक्षकार स्वयं कर सकेंगें। निर्धारित शुल्क का भुगतान कर खसरा नम्बर से पूर्व की सभी रजिस्ट्री का ब्यौरा देखा जा सकेगा। साथ ही उसकी प्रति को डॉउनलोड किया जा सकेगा । जनता को घर बैठे सर्च की सुविधा होने से पक्षकारों को रजिस्ट्री ऑफिस में भटकना नहीं पड़ेगा। इससे आम आदमी धोखाधड़ी का शिकार होने से बच सकेगा।

 

3- भारमुक्त प्रमाण पत्र की सुविधा – संपत्ति के क्रय करने के पूर्व पक्षकारों को यह जानना जरूरी है कि उक्त संपत्ति पर किसी प्रकार का भार या बंधक तो नही है अथवा संपत्ति किसी अन्य को पूर्व में विक्रय तो नही की गई है। अतः पक्षकारों की सुविधा के लिए आनलाईन सर्च के साथ ही भारमुक्त प्रमाण पत्र ऑनलाईन जारी करने का प्रावधान किया गया है। ऑनलाईन आवेदन करने पर ऑनलाईन ही भारमुक्त प्रमाण पत्र संबंधित को उपलब्ध करा दिया जायेगा।

 

4- एकीकृत कैशलेस भुगतान की सुविधा – वर्तमान में रजिस्ट्री ऑफिस में पंजीयन शुल्क का भुगतान नगद किया जाता है। इसे कैशलेस बनाया गया है। स्टांप और पंजीयन शुल्क का भुगतान पक्षकार अपनी सुविधानुसार क्रेडिट डेबिट कार्ड, POS मशीन, नेट बैंकिंग अथवा UPI से कर सकेंगे। पक्षकार को स्टाम्प ड्यूटी और पंजीयन फीस का भुगतान अलग अलग करना पड़ता था, जिसमें पक्षकारों के साथ-साथ विभाग को भी कैश हैंडलिंग की समस्या होती थी। अब इंटीग्रेटेड कैशलेस पेमेंट सिस्टम से दोनों शुल्क एक साथ भुगतान हो सकेगा।

 

5- व्हाट्सएप मैसेज सर्विसेज – आज के समय में व्हाट्सएप एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है। पंजीयन प्रणाली में पक्षकारों को (क्रेता/विक्रेता) को व्हाट्सएप के माध्यम से नोटिफिकेशन भेजने के संबंध में वाट्सअप मैसेजिंग सर्विस का प्रावधान किया गया है। पक्षकारों को आवेदन प्रस्तुति स्लॉट बुकिंग, पंजीकरण की प्रगति और पंजीकरण पूर्ण होने के संबंध में रियलटाईम जानकारी प्राप्त हो सकेगी।

 

6- डिजीलॉकर की सुविधा – रजिस्ट्री दस्तावेजों को भारत सरकार के डिजिलॉकर सुविधा के माध्यम से सुरक्षित स्टोर किया जा सकेगा। वर्तमान में शासन एवं निजी क्षेत्र के विभिन्न सेवाओं के लिए रजिस्ट्री पेपर की आवश्यकता पड़ती है, जिसके लिए पक्षकार को रजिस्ट्री ऑफिस आना पड़ता है। डिजिलॉकर के माध्यम से इसका एक्सेस और नकल प्राप्त किया जा सकेगा ।

7- आटो डीड जनरेशन की सुविधा – वर्तमान पंजीयन प्रक्रिया में पक्षकार को दस्तावेज बनाने, स्टांप खरीदने, अपॉइंटमेंट लेने तथा पंजीयन के लिए प्रस्तुत करने के बीच अलग अलग लोगो जैसे डीड राइटर,स्टांप वेंडर आदि का चक्कर लगाना पड़ता है। जनता की सुविधा के लिए रजिस्ट्री को पेपर लेस बना दिया गया है। इस प्रक्रिया में विलेख प्रारूप का चयन कर कंप्यूटर में एंट्री करने के दौरान दस्तावेज स्वतः तैयार हो जाता है और वही दस्तावेज पेपरलेस होकर उप पंजीयक को ऑनलाइन प्रस्तुत होगा। रजिस्ट्री करने के पश्चात दस्तावेज स्वतः ही ऑनलाइन प्राप्त हो जाएगा।

8- डिजीडॉक्यूमेंट की सुविधा – कई ऐसे दस्तावेज होते हैं जिसमें स्टाम्प लगाना जरूरी है लेकिन पंजीयन नही होता है जैसे कि शपथ पत्र, अनुबंध पत्र। कानूनी भाषा की जटिलता के कारण लोगों को स्वयं ऐसे दस्तावेज तैयार करने में कठिनाई होती है इसके निराकरण के लिए डिजीडॉक सेवा विकसित किया गया है इस सेवा के माध्यम से आम नागरिक दैनिक उपयोग में आने वाले दस्तावेज तैयार कर सकेंगे। डिजीडॉक सुविधा के तहत् डिजीटल स्टाम्प के साथ दस्तावेज तैयार जाता है।

9- घर बैठे रजिस्ट्री की सुविधा – वर्तमान पंजीयन प्रक्रिया में पक्षकार को दस्तावेज बनाने, स्टांप खरीदने, अपॉइंटमेंट लेने तथा पंजीयन के लिए प्रस्तुत करने के बीच अलग अलग लोगो जैसे डीड राइटर,स्टांप वेंडर आदि का चक्कर लगाना पड़ता है। जनता की सुविधा के लिए रजिस्ट्री को पेपर लेस बना दिया गया है। इस प्रक्रिया में विलेख प्रारूप का चयन कर कंप्यूटर में एंट्री करने के दौरान दस्तावेज स्वतः तैयार हो जाता है और वही दस्तावेज पेपरलेस होकर उप पंजीयक को ऑनलाइन प्रस्तुत होगा। रजिस्ट्री करने के पश्चात दस्तावेज स्वतः ही ऑनलाइन प्राप्त हो जाएगा।

10- स्वतः नामांतरण की सुविधा इत्यादि – अचल संपत्ति के दस्तावेजों के पंजीयन उपरान्त उसे राजस्व विभाग के रिकार्ड में दर्ज कराने के लिए नामांतरण की कार्यवाही के लिए वर्तमान में पक्षकारों को लगभग 1 से 2 माह तक का समय लग जाता है। कुछ प्रकरणों में कई महीने भी लग जाते है। शासन द्वारा आम जनता की सुविधा के लिए पंजीयन के साथ ही नामांतरण के संबंध में राजस्व विभाग के साथ इंटीग्रेशन किया गया है। यह सुविधा अभी मात्र आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं तामिलनाडु राज्यों में ही है तथा हरियाणा राज्य में स्वतः नांमांतरण 07 दिन पश्चात् होता है। पंजीयन विभाग राजस्व विभाग एवं एनआईसी की टीम द्वारा संयुक्त रूप से इसे विकसित किया गया है। आम नागरिकों के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण सुधार है। इससे पक्षकारों को बिचौलियों से मुक्ति के साथ नामांतरण की लंबी प्रक्रिया से होकर गुजरना नही पड़ेगा। समय एवं श्रम के साथ-साथ आर्थिक बोझ भी कम होगा।

मंत्री जी द्वारा विभाग के पंजीयन अधिकारियों को इन सभी नये प्रावधानों को लागू करने के पूर्व जानकारी दी जाकर गई तथा इनका प्रभावी रूप से सफल क्रियान्वयन करने तथा आम जनता को सहयोग करने के लिए निर्देशित किया गया।

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