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रीवा: भूमि अधिग्रहण मुआवजा राशि में करोड़ों का घोटाला हुआ उजागर, अधिकारियों और बैंक कर्मियों की मिलीभगत से हुआ खेल

रीवा: भूमि अधिग्रहण मुआवजा राशि से जुड़े करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है. अब तक ₹33 करोड़ की अनियमितताएँ उजागर हुई हैं. यह पूरी योजना अधिकारियों और बैंक प्रबंधकों की मिलीभगत से रची गई थी. जाँच में घोटाले की पूरी परतें खुल गईं, जिससे प्रशासनिक अमले में व्यापक खलबली मच गई.

यह पूरा मामला ज़िले में भूमि अधिग्रहण मुआवजा राशि से जुड़ा है. अधिकारियों ने नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए निजी बैंकों में खाते खुलवाए और करोड़ों रुपये की सरकारी राशि इन खातों में जमा कर दी. जाँच में पता चला कि यह पैसा ब्याज पर बाज़ार में उधार दिया गया, जिससे बैंकों और संबंधित अधिकारियों को फ़ायदा हुआ.

एसडीएम वैशाली जैन की लगभग एक साल तक चली जाँच में ₹33 करोड़ से ज़्यादा की धोखाधड़ी का पता चला है. परियोजना निदेशक (पीडी) के खाते में लगभग ₹168 करोड़ मिले, जबकि शेष राशि दो निजी बैंक खातों में पाई गई. यह मामला तब सामने आया जब किसानों ने मुआवज़ा न मिलने की शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर दर्ज कराई.

कलेक्टर प्रतिभा पाल ने पूरे मामले की जानकारी देते हुए बताया, “व्यक्तिगत जमा खाते में अभी भी 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा की राशि मौजूद है. ऐसे दो मामले सामने आए हैं जिनमें अनियमितताएँ पाई गई हैं. पहली राशि एक निजी बैंक में 26 करोड़ रुपये और दूसरी राशि लगभग 7.5 करोड़ रुपये की है. बैंक को 30 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया गया है. इस पूरे मामले में बैंक के शाखा प्रबंधक और एक सेवानिवृत्त क्लर्क की भूमिका सामने आई है. बैंक प्रबंधन द्वारा किए गए लेन-देन बिना सरकारी अनुमति के किए गए थे. जाँच अभी जारी है.”

कलेक्टर ने स्पष्ट किया है कि दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों और बैंक कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद, अनियमितताएँ उजागर होने के बाद यह मामला चर्चा का विषय बन गया है.

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