रीवा: जन्म के बाद नवजात की शारीरिक बनावट ने डॉक्टरों को चौंकाया, बनी चर्चा का विषय

रीवा: जिले में एक नवजात बच्चे के जन्म ने सभी को चौंका दिया है. इस बच्चे के शरीर में आँख, नाक और कान जैसे महत्वपूर्ण अंग स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दे रहे हैं, फिर भी वह पूरी तरह से स्वस्थ है, जिससे डॉक्टर भी हैरान हैं. यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है. यह अनोखी घटना रीवा जिले के सोहागी थाना क्षेत्र के रायपुर सुनौरी गाँव की है. बच्चे की माँ का नाम प्रियंका पटेल है और पिता का नाम पुष्पराज है, जो किसानी करते हैं. बच्चे के जन्म के बाद, जब यह अनोखी शारीरिक स्थिति सामने आई, तो परिवार के साथ-साथ स्वास्थ्यकर्मी भी अचंभित रह गए.

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बच्चे को सबसे पहले चाकघाट अस्पताल ले जाया गया, जहाँ के डॉक्टरों ने उसे तुरंत रीवा के संजय गांधी अस्पताल रेफर कर दिया. बच्चे के दादा लल्लन पटेल और दादी शांति देवी उसे लेकर अस्पताल पहुँचे. संजय गांधी अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञों ने बच्चे की गहन जाँच की. प्रारंभिक तौर पर, उनका मानना है कि यह एक दुर्लभ बीमारी हो सकती है. चिकित्सकों ने बताया कि बच्चे के शरीर पर कुछ अतिरिक्त परतें दिखाई दे रही हैं, जिसके कारण उसके कुछ अंग दबे हुए लग रहे हैं.

उन्होंने स्पष्ट किया कि शुरुआती दौर में कोई भी निश्चित निर्णय लेना उचित नहीं है और यह कहना गलत होगा कि बच्चे के शरीर में अंग नहीं हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि इलाज और गहन जाँच के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा. एक विशेषज्ञ ने विस्तार से बताया कि बच्चा लगभग आठ महीने में पैदा हुआ है और उसकी पूरी त्वचा मोटी परत की बनी हुई है, जिसमें दरारें भी हैं. आँखों के संबंध में उनका मानना है कि पलकें उल्टी घूमी हुई हैं और बनी नहीं हैं, जिससे ऐसा लग रहा है कि आँखें नहीं बनी हैं, जबकि ऐसा नहीं है.

चिकित्सकों ने आशंका जताई है कि बच्चा “हार्लेक्विन इक्थियोसिस” नामक त्वचा की बीमारी से ग्रसित हो सकता है. यह एक दुर्लभ आनुवंशिक उत्परिवर्तन (जेनेटिक म्यूटेशन) के कारण होती है. इस स्थिति में, मुख्य समस्या त्वचा से संबंधित होती है और बच्चे को संक्रमण का खतरा अधिक रहता है क्योंकि उसकी त्वचा वातावरण के प्रति पूरी तरह से खुली होती है. विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि आमतौर पर माँ को ऐसी कोई बीमारी नहीं होती है और यह अक्सर एक नया उत्परिवर्तन होता है.

यह मामला अब क्षेत्र में गहरी चर्चा का विषय बन गया है, जहाँ कुछ लोग इसे अंधविश्वास से जोड़कर देख रहे हैं. वहीं परिवार बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है और चिकित्सकों की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है.

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