रीवा: तीन पत्रकारों को फर्जी गैंगरेप और पॉक्सो मामले से न्यायालय ने किया बरी, फर्जीवाड़े का हुआ पर्दाफाश

मध्यप्रदेश: रीवा की धरती पर न्याय का ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया है, जिसने न केवल सच्चाई की जीत दर्ज की है, बल्कि पुलिस प्रशासन की मनमानी पर भी सख्त संदेश दिया है. दरअसल, 7 फरवरी 2022 की मनगढ़ंत घटना के आधार पर दर्ज एक फर्जी गैंगरेप और पॉक्सो एक्ट केस में, रीवा न्यायालय ने अमर मिश्रा (संपादक, हरित प्रवाह समाचार पत्र), प्रदुम्न शुक्ला और उमेश सिंह को सभी आरोपों से दोषमुक्त घोषित कर दिया.

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यह मामला उस समय चर्चा में आया था, जब तत्कालीन एसपी नवनीत भसीन और सिविल लाइन थाना प्रभारी हितेंद्र नाथ शर्मा के कार्यकाल में इन तीन पत्रकारों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया. पुलिस ने पॉक्सो जैसे संवेदनशील कानून का दुरुपयोग करते हुए इन पत्रकारों को झूठे केस में फंसाने की कोशिश की, जिसने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए.

तीनों पत्रकारों ने न्यायपालिका में विश्वास बनाए रखा और कानूनी लड़ाई लड़ी. सुनवाई के दौरान पुलिस की जांच में खामियां और साक्ष्यों के अभाव ने स्पष्ट कर दिया कि यह केस पूर्व नियोजित था. कोर्ट में पेश तथ्यों के आधार पर न्यायाधीश ने तीनों को पूर्ण रूप से निर्दोष करार देते हुए आरोपों से बरी कर दिया. इस पूरे घटनाक्रम में पत्रकारों ने जो साहस, धैर्य और आत्मबल दिखाया, वह प्रेरणादायक है.

वरिष्ठ अधिवक्ता धीरेंद्र नाथ चतुर्वेदी ने उनकी ओर से प्रभावी पैरवी की और न्यायालय ने सच्चाई के पक्ष में निर्णय सुनाया. यह फैसला न सिर्फ तीन निर्दोष पत्रकारों को न्याय दिलाने वाला है, बल्कि रीवा के न्यायिक इतिहास में एक मील का पत्थर भी बन गया है.

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