रीवा : बिगत दिनों पूर्व सतना के जैतवारा थाने में प्रधान आरक्षक को गोली मारकर आरोपी मौके से फरार हो गए थे हालांकि कुछ दिनों बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है मगर प्रधान आरक्षक प्रिंस गर्ग की उपचार के दौरान मौत हो गई. इस मौत का जिम्मेदार प्रधान आरक्षक प्रिंस के परिजन मिनरवा अस्पताल के डॉक्टर को बता रहे हैं उन्होंने आरोप लगाते हुए रीवा कलेक्टर से शिकायत की और कार्रवाई की मांग की है.
मृतक प्रधान आरक्षक के परिजनों का आरोप है कि कई बार सीटी स्कैन और अन्य जांच करने के बाद भी डॉक्टरों को पीठ में धसी गोली नही दिखी. बताया गया कि 29 अप्रैल की रात सतना के जैतवारा थाना परिसर में हुये गोलीकांड में घायल हेडकांस्टेबल प्रिंस दुबे को रीवा रेफर किया गया.
सबसे पहले उन्हें सतना से रीवा के संजय गांधी अस्पताल लाया गया, जहां से देर रात विभाग के ही जिम्मेदारों की सलाह पर रीवा के ही प्राइवेट अस्पताल मिनर्वा हॉस्पिटल में शिफ्ट गया.
परिजनों के मुताबिक मिनर्वा अस्पताल में तकरीबन एक सप्ताह तक घायल का उपचार चला, जिस बीच तीन-तीन बार सिटी स्केन सहित कई तरह की जांच की गई और हर बार डाॅक्टर्स नें घायल के शरीर में गोली ना होने का दावा किया
परिजनों का आरोप है कि हद तो तब हो गई जब मिनर्वा अस्पताल प्रबंधन और डाॅक्टर्स परिजनों को बार बार यही आश्वासन देते रहे कि घायल पूरी तरह से ठीक है, लेकिन कुछ ही दिनों बाद घायल के शरीर सहित अंदरूनी हिस्सों ने काम करना बंद कर दिया और ऐसे में मिनर्वा अस्पताल के डाॅक्टरों ने हाथ खडे कर दिये, जिसके बाद परिजन उसे एयर लिफ्ट की मदद से दिल्ली के मैक्स अस्पताल ले गए लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी.
परिजनों ने बताया दिल्ली मैक्स हाॅस्पिटल के डाॅक्टर्स नें रीवा में किये गए उपचार को गलत बताया, चूंकि घायल का ब्रेन डेड हो चुका था और शरीर के अंदर धंसे छर्रो की वजह से इन्फेक्सन फैल चुका था जो हेड कांस्टेबल की मौत का कारण बन गया.
परिजनों ने बताया है कि रीवा के मिनर्वा अस्पताल में डाॅक्टर नें घायल के शरीर में गोली ना होने का जो दावा किया था वह गलत साबित हुआ है चूंकि पोस्टमार्टम के दौरान म्रतक के शरीर में धंसे गोली के छर्रे निकाले गए है.
फिलहाल हेडकांस्टेबल के परिजनों नें उसकी मौत का जिम्मेदार मिनर्वा अस्पताल को ठहराया है और अस्पताल प्रबंधन सहित डाॅक्टर के खिलाफ कार्यवाही की मांग को लेकर आज कलेक्टर से शिकायत भी की है.
परिजनों का आरोप है कि हडेकांस्टेबल की जान बचाने के लिये उन्होंने घर के जेवरात तक बेंचने पड़े और तकरीबन 17 से 18 लाख रूपयों का बिल चुकाया बावजूद इसके जान नहीं बचाई जा सकी.
फिलहाल दिल्ली में हुये पीएम रिपोर्ट से हुये खुलासे के बाद ना सिर्फ परिजन हैरान है बल्कि मिनर्वा अस्पताल में उपचार सुविधा की पोल खोल कर रख दी है.
हेडकांस्टेबल की मौत पर उनके साले नें मिनर्वा अस्पताल को सिर्फ और सिर्फ उपचार के नाम पर लूट का अस्पताल बताया है, जिसके खिलाफ कार्यवाही करने सहित अस्पाताल को बंद कराने की मांग की है.साथ ही इस पूरे मामले को लेकर शिकायती पत्र आज कलेक्टेट कार्यालय में दिया गया है.