रीवा : जिले से एक गंभीर सवाल उभर रहा है क्या सोशल मीडिया पर सस्ती लोकप्रियता के लिए लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कलंकित करने वालों पर लगाम लगेगी या नहीं इन दिनों बघेली यूट्यूबर्स के कुछ वीडियो पत्रकारिता की गरिमा को तार-तार कर रहे हैं. हाल ही में, यूट्यूबर आशीष यादव (पियांसु) ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें एक पत्रकार को नेता से पैसे लेते हुए दिखाया गया है. यह सिर्फ एक कॉमेडी नहीं, बल्कि यह सीधा-सीधा उन सभी पत्रकारों पर हमला है जो ईमानदारी से अपना काम कर रहे हैं.
पत्रकारिता मज़ाक नहीं, एक ज़िम्मेदारी है
पत्रकारिता कोई मनोरंजन का साधन नहीं है. यह एक ऐसा पेशा है, जहाँ पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर भ्रष्टाचार और अन्याय को उजागर करते हैं. आशीष यादव पियांसु जैसे यूट्यूबर्स, कुछ लाइक्स और व्यूज के लिए जिस तरह से कलम के सिपाहियों का मज़ाक उड़ा रहे हैं, वह न केवल अशोभनीय है, बल्कि यह समाज में पत्रकारों के प्रति अविश्वास भी पैदा कर रहा है. हर सच्चे पत्रकार का सम्मान और उसकी विश्वसनीयता दांव पर लगाई जा रही है.
बार-बार की हरकतों से हौसले बुलंद
यह कोई पहली घटना नहीं है. पहले टीआरएस कॉलेज की छात्राओं पर अश्लील गाना, फिर भारतीय सेना को बदनाम करने वाले वीडियो और अब पत्रकारिता की गरिमा पर हमला. इन सभी घटनाओं से साफ है कि प्रशासन की चुप्पी और ढिलाई ने इन कंटेंट क्रिएटर्स के हौसलों को बढ़ा दिया है. जब तक इन पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, ये किसी भी सामाजिक या राष्ट्रीय संस्था को बदनाम करने से पीछे नहीं हटेंगे.
प्रशासन से सीधा सवाल: कब तक चलेगा यह तमाशा
यह मामला अब सिर्फ पत्रकारिता की मानहानि का नहीं, बल्कि समाज में गलत संदेश फैलाने का है. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि एक गंभीर अपराध है. इस तरह के वीडियो से न सिर्फ पत्रकारों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच रहा है, बल्कि यह अफवाह भी फैलाई जा रही है कि पत्रकार बिकाऊ होते हैं. यह समाज को बाँटने और लोकतंत्र को कमजोर करने की एक खतरनाक साजिश है.
मीडिया जगत मांग करता है कि ऐसे शर्मनाक कृत्य करने वालों के खिलाफ तुरंत और सख्त कानूनी कार्रवाई हो. अगर अब भी कोई एक्शन नहीं लिया गया, तो रीवा का हर नागरिक यह समझेगा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हुए इस हमले में प्रशासन भी कहीं-न-कहीं मूक सहमति दे रहा है.