नई दिल्ली: देश में पड़ रही बढ़ती गर्मी ने लोगों के मस्तिष्क पर अपना प्रभाव छोड़ना शुरू कर दिया है. ज्यादा देर तक धूप में रहने की वजह से लोगों का हैप्पी हारमोंस का रिसाव अधिक हो रहा है. इस करण लोग मेनिया या बाईं पोलर डिसऑर्डर के शिकार हो रहे हैं.जिससे उनके स्वाभाव में परिवर्तन आया है. ऐसे में अगर आप किसी को ज्यादा टोकते हैं, तो आपको सावधान होने की जरूरत है. वरना ये आदत आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकती है.
दरअसल, ज्यादा देर तक धूप रहने की वजह से हैप्पी हारमोंस का रिसाव अधिक हो रहा है. इससे मस्तिष्क में न्यूरो ट्रांसमीटर का सामंजस्य बिगड़ रहा है. इसकी वजह से लोग मेनिया या बाई पोलर डिसआर्डर के चपेट में आ रहे हैं. दवाओं से नियंत्रित रोगियों की तो हालत बिगड़ ही गई है, नए रोगी भी आ रहे हैं.
मेनिया या बाईं पोलर डिसऑर्डर के शिकार लोग बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, बहुत ज्यादा बोलते हैं और अपनी ही बातों को सही बताते हैं. भड़कीले कपड़े पहन रहे हैं, अपने को सिद्ध पुरुष बताते हैं और टोकने पर उग्र होकर तोड़फोड़ और मारपीट करने लगते हैं. इसलिए आपको सतर्क रहने की जरुरत है.
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय चौधरी ने बताया कि धूप के असर से डोपामीन और गावा न्यूरो केमिकल का रिसाव पर असर आता है. अधिक धूप होने पर इनका सामंजस्य बिगड़ता है. इससे मेनिया के लक्षण आते हैं. इस समय ओपीडी में मेनिया के 40 रोगी प्रतिदिन आ रहे हैं. इनमें 10 रोगी नए होते हैं. महिलाओं की तुलना में पुरुष रोगियों की संख्या अधिक है. ऐसे में पुराने रोगी अपनी दवाएं नियमित लें, पानी खूब पीयें, ठंडी जगह पर रहें. किसी बात का तनाव न लें. नींद पूरी लें. अगर असामान्य मनोस्थिति लगे तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें.
मस्तिष्क के लिम्बिक एरिया में रिसते हैं हैप्पी हारमोंस
यही भावनाओं को केंद्र नियंत्रित करता है.
इसी क्षेत्र में उदासी का हारमोन सीरोटोनिन भी रिसता है.
यह मस्तिष्क के फ्रंटल लोब के पीछे का हिस्सा होता है.
मीजो लिम्बिक ट्रैक में हैप्पी हारमोंस डोपामीन का रिसाव होता है.
ट्रैक के दूसरे हिस्से में सीरोटोनिन रिसता है, इसका इम्बैलेंस उदासी पैदा करता है.
इन्हें न्यूरो ट्रांसमीटर भी कहते हैं, ये अमीनो एसिड से बनते हैं.