भारत और अमेरिका के बीच इन दिनों चल रहा टैरिफ विवाद किसी से छिपा नहीं है. इसको लेकर सबकी अपनी-अपनी राय है. कोई ट्रंप के इस फैसले को तानाशाही तो कोई इसे गलत बता रहा है. इस बीच पूरे मामले पर अब RSS के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में अमेरिका पर निशाना साधा गया है. इस आर्टिकल में लिखा कि डोनाल्ड ट्रंप लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही और आतंकवाद फैला रहे हैं.
ऑर्गेनाइजर में अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा गया कि स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मसीहा होने का दिखावा करते हुए अमेरिका विश्व में आतंकवाद और तानाशाही को बढ़ावा दे रहा है. व्यापार युद्ध और टैरिफ संप्रभुता में हस्तक्षेप और उसे कमजोर करने के नए हथियार बन गए हैं.
ऑर्गेनाइजर ने नव-औपनिवेशकों और उनके स्वार्थी घरेलू एजेंटों द्वारा भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण को दबाने की सुनियोजित कोशिश की आलोचना की. संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थान अप्रासंगिक और अक्षम साबित हो रहे हैं. अल्पकालिक राजनीतिक लाभ के लिए भारत के भीतर कुछ लोग नव-औपनिवेशकों के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं.
अपने संपादकीय में कहा गया है कि लोकतंत्र और आजादी के मसीहा होने का मुखौटा पहनकर अमेरिका दुनिया में आतंकवाद और तानाशाही को बढ़ावा दे रहा है. ऑर्गनाइजर के मुताबिक, व्यापार युद्ध और टैरिफ जैसे हथियार अब संप्रभु देशों की स्वतंत्रता में दखल देने और उन्हें कमजोर करने के नए औजार बन चुके हैं. संपादकीय में संयुक्त राष्ट्र (UN) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) को अप्रासंगिक और अक्षम करार दिया गया.
भारत की ओर उम्मीद से देख रही दुनिया
ऑर्गेनाइजर ने कहा कि भारत के भीतर भी कुछ राजनीतिक खिलाड़ी नव-औपनिवेशकों के एजेंट बनकर देश के सांस्कृतिक पुनर्जागरण को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं. संपादकीय में कहा गया कि आर्थिक अनिश्चितता, सैन्य टकराव, तकनीकी एकाधिकार और पर्यावरणीय संकट से जूझ रही दुनिया अब भारत की ओर उम्मीद से देख रही है. इसके लिए भारतीय मूल्यों पर आधारित सतत, न्यायपूर्ण और समावेशी मॉडल को ही समाधान बताया गया है.
दुनिया एक फिर अस्थिरता के दौर में
ऑर्गनाइजर का कहना है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जिस व्यवस्था को उदारवादी विश्व व्यवस्था की स्थायी जीत समझा गया था अब वो टूट रही है. दुनिया एक बार फिर अस्थिरता, संघर्ष और अराजकता की ओर बढ़ रही है. ऑर्गनाइजर ने कहा है कि एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था पतन की ओर है, जिसमें संघर्ष, प्रतिबंध और संस्थागत गिरावट आई है.
संघ के मुखपत्र में कहा गया है कि वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत को वैश्विक शांति की कुंजी बताते हुए RSS मुखपत्र ने स्वधर्म, स्वदेशी और स्वराज की भावना को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया है.