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रूस ने पाकिस्तान से चावल खरीदा, बोरों में निकली ये वाली मक्खी, लगाई फटकार

रूस पाकिस्तान से चावल आयात करता है। हाल ही में रूस की केंद्रीय सेवा – पशु चिकित्सा और फ़ाइटोसैनिटरी निगरानी (FSVPS) – एजेंसी ने पाकिस्तान से आयात किए जाने वाले चावल की एक खेप पर सुरक्षा मानकों के उल्लंघन के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। अब इसके कुछ रोज बाद रूस ने पाकिस्तान को सीधी चेतावनी दी है। कहा है कि अगर भविष्य में उनकी ‘चिंताओं’ का समाधान नहीं किया गया, तो वो चावल के आयात पर प्रतिबंध लगा देंगे।

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अंतरराष्ट्रीय और रूसी फाइटोसैनिटरी की अधिसूचना के मुताबिक़, चावल की खेप में मेगासेलो एस्केरिस (लोउ) मिला था। ये एक छोटी, पीले रंग की मक्खी होती है, जो चावल को डैमेज करती है और इंसानों के लिए हानिकारक है।

 

न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, इस तरह का उल्लंघन रुके और दोनों देशों के बीच व्यापार किए जाने वाले कृषि उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित हो, इसलिए रूसी अधिकारियों ने सभी पाकिस्तानी चावल निर्यातकों को फाइटोसैनिटरी मानकों का पालन करने के निर्देश दिए हैं। रूस में पाकिस्तानी दूतावास के अफ़सरों को भी मामले की तत्काल जांच करने के लिए कहा गया है।

कई बार लगा प्रतिबंध

रूस ने इससे पहले स्वास्थ्य ‘सुरक्षा कारणों’ का हवाला देते हुए 2019 में पाकिस्तान से चावल आयात पर प्रतिबंध लगाया था। उससे पहले, दिसंबर 2006 में खाद्य सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरने के लिए रोक लगाई थी।

 

पिछले साल, भारत ने सफ़ेद ग़ैर-बासमती और उबले चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। पाकिस्तानी संगठन डॉन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, पाकिस्तान चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष चेला राम केवलानी ने ख़ुद माना है कि पाकिस्तान के चावल निर्यातकों को निर्यात के लिए सभी चावल चुनने और पैकेजिंग में बहुत सावधानी बरतने की ज़रूरत है। कहा कि पिछले साल भारत ने निर्यात पर जो प्रतिबंध लगाए थे, उससे पाकिस्तान को फ़ायदा हुआ था। क्योंकि दुनिया के चावल व्यापार में भारत की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत है।

पाकिस्तान के चावल डीलर इस बात की तस्दीक़ भी करते हैं। उनके अनुसार, अकेले दिसंबर 2023 में लगभग 7 लाख टन चावल का निर्यात किया गया था। अभी चावल निर्यात निगम बासमती चावल के निर्यात में 60% की और पाकिस्तान से ग़ैर-बासमती चावल के निर्यात में 36 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान लगाए हुए है। ऐसे में उनके चावल की गुणवत्ता पर सवाल उठना, उनके लिए अच्छा संकेत नहीं है।

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