पिछले कुछ वर्षों से फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म OctaFX लगातार सोशल मीडिया और विज्ञापनों से लेकर IPL टीमों के प्रायोजकों तक में नजर आ रही थी. हालांकि बहुत ही कम लोग या कहें कि कोई भी नहीं जानता था कि OctaFX भारत में शुरू की गई एक लॉन्ग टर्म पोंजी स्कीम थी जिसका मकसद भारतीय नागरिकों से उनकी मेहनत की कमाई ठगना था. जांच एजेंसी ईडी ने हाल ही में OctaFX इंडिया, इसकी विदेशी परिचालन कंपनी ऑक्टामार्केट्स, संस्थापक पावेल प्रोज़ोरोव, OctaFX के सीईओ जिन्होंने भारत में परिचालन संभाला अन्ना रुदैया और अन्य 9 व्यक्तियों और कुल 41 कंपनियों-संस्थाओं के खिलाफ दूसरा आरोप पत्र दायर किया है.
ईडी ने जिस अपराध के आधार पर जांच शुरू की, वह पुणे के शिवाजीनगर पुलिस स्टेशन में 2021 में दो से तीन ब्रोकर और एजेंटों के खिलाफ दर्ज की गई एक FIR है, जिन्होंने OctaFX पर विदेशी मुद्रा व्यापार के माध्यम से अपनी बचत को पांच महीने में दोगुना और आठ महीने में तिगुना करने का लालच देकर मूक-बधिर लोगों को ठगा था. निवेशकों ने करोड़ों की बड़ी रकम इसमें खो दी और फिर ब्रोकर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिन्होंने OctaFX का प्रचार किया था. ताबड़तोड़ ऑनलाइन और सोशल मीडिया विज्ञापन प्रचार के साथ क्षेत्रवार प्रभावशाली लोगों और टीवी हस्तियों और यहां तक कि शीर्ष बॉलीवुड अभिनेताओं के जरिए ब्रोकर बड़ी संख्या में निवेशकों को लुभाने में कामयाब रहे. इन ब्रोकर्स को लोगों को ठगने के बदले लग्जरी कार, बाइक, सोने के सिक्के और बिस्कुट जैसे बोनस के रूप में पेमेंट दिया जाता था.
उन्होंने गोवा के कुछ शीर्ष फाइव स्टार होटलों में भी कार्यक्रम आयोजित किए और एजेंटों और दलालों को आमंत्रित किया और उन्हें इन आयोजनों में भारी बोनस राशि और उपहारों से सम्मानित किया. सूत्रों की मानें तो इस प्लेटफ़ॉर्म ने चुनिंदा ग्राहकों और निवेशकों से करोड़ों की नकदी जैसी बड़ी रकम का निवेश करने की भी पेशकश की, खासकर बड़े परिचयकर्ताओं से, जिनके ऑनलाइन इतिहास से पता चलता है कि वे लंबे समय तक इससे जुड़े थे. ये नकद राशि उनके एजेंटों द्वारा एकत्र की गई और प्लेटफॉर्म को सौंप दी गई. इसके बाद शेल संस्थाओं के कई खातों में इसे जमा कराया गया. एक बार जब निवेश की गई रमक बड़ी हो गई, तो निवेशकों को चूना लगना शुरू हो गया. टियर टू या टियर थ्री शहरों के लोगों को ज्यादा टारगेट किया गया.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हाल ही में की गई जांच से पता चला है कि विदेशी मुद्रा व्यापार मंच OctaFX ने भारत में संचालन के सिर्फ 9 महीनों में अपराध की आय के रूप में 800 करोड़ रुपये कमाए.
इसके अलावा, OctaFX प्लेटफ़ॉर्म ने निवेशकों की धोखाधड़ी गतिविधियों को छिपाने के लिए जानबूझकर रणनीति के तहत अपने लॉगिन URL और वेब एड्रेस कई बार बदले.
इस तरह विदेश भेजा जाता था पैसा
प्लेटफ़ॉर्म ने व्यापारिक गतिविधियों में हेरफेर किया, जिसके परिणामस्वरूप निवेशकों को भारी नुकसान हुआ, जबकि धोखाधड़ी वाले फंड को ई-वॉलेट और फर्जी संस्थाओं के खातों में भेज दिया गया. इसके अलावा, OctaFx ने शेल कंपनियों और नकली ई-कॉमर्स वेबसाइटों से जुड़े फर्जी अकाउंट बनाने के लिए फिनटेक कर्मचारियों का इस्तेमाल किया. इन संस्थाओं को भुगतान गेटवे एक्सेस प्राप्त करने के लिए बनाया गया था, जो निवेशकों के फंड को वैध खरीद के रूप में छिपाते थे. इसके बाद फर्जी इंपोर्ट और माल ढुलाई सेवाओं के बहाने से पैसे को विदेश भेजा गया.
इस प्लेटफॉर्म ने आईपीएल टीम को स्पॉन्सर करने सहित ताबड़तोड़ प्रचार के जरिए लोकप्रियता हासिल की है, और प्रभावशाली मार्केटिंग के लिए तमाम प्रोडक्शन एजेंसियों को शामिल किया. इन प्रोडक्शन एजेंसियों को भुगतान विदेशी आवक प्रेषण के रूप में दो एस्टोनिया-आधारित कंपनियों के माध्यम से किया गया था, दोनों ऑक्टाफ़ैक्स की संबंधित संस्थाएं हैं और पावेल प्रोज़ोरोव द्वारा नियंत्रित हैं.
कैसे की जाती थी ठगी?
इस फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर व्यापक रूप से प्रचारित किया गया था और अपने प्लेटफॉर्म पर यूजर्स को लुभाने के लिए रेफरल-आधारित प्रोत्साहन मॉडल का इस्तेमाल किया गया. यूजर्स से फंड जुटाया गया, मुख्य रूप से UPI/लोकल बैंक ट्रांसफर के माध्यम से और डमी संस्थाओं के माध्यम से चैनलाइज़ किया गया. इस फंड को विभिन्न डमी संस्थाओं के बैंक खातों में जमा किया गया और लेयरिंग के उद्देश्य से घरेलू स्तर पर अन्य बैंकों में ट्रांसफर किया गया. फॉरेक्स ट्रेडिंग की सुविधा के नाम पर फंड जुटाने के लिए ऑक्टाफ़क्स ट्रेडिंग ऐप पर निवेशकों/यूजर्स विभिन्न भारतीय बैंकों के कई खाते दिखाए जा रहे थे. इन निवेशकों/यूजर्स को धोखा देने के बाद उक्त संचित फंड को कई ई-वॉलेट खातों या डमी संस्थाओं के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया गया.
महज 9 महीने में कमाया 800 करोड़ का प्रोफिट
डमी संस्थाओं के खाता नंबर दर्शाने, इन खातों में एकत्रित फंड का प्रबंधन करने और उसी का डायवर्जन करने की पूरी प्रक्रिया OctaFX ग्रुप संस्थाओं के मालिकों द्वारा प्रबंधित और संचालित किया जा रहा था.
इसके अलावा, जांच से पता चला है कि जुलाई 2022 से अप्रैल 2023 तक केवल 9 महीने की छोटी अवधि में OctaFX ने भारत में अपने संचालन से लगभग 800 करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण लाभ कमाया, जो कि अपराध की आय के अलावा और कुछ नहीं है. हालांकि, OctaFX ने भारतीय क्षेत्र से अपने संचालन से कितना लाभ कमाया है, यह निर्धारित करने के लिए जांच अभी भी जारी है.
डमी निदेशकों की मदद से मनी लॉन्ड्रिंग
OctaFX इंडिया का संचालन कई फर्जी खातों के माध्यम से किया जाता था, जहां निवेशकों से पैसे जमा कराए जाते थे. ये खाते कुछ संस्थाओं के थे, जिनमें भारतीय निदेशक थे, जिन्हें OctaFX अधिकारियों द्वारा यह सिखाया जाता था कि जब भी जरूरत हो, वे KYC सत्यापित करें. लेन-देन को वैध बनाने के लिए इन खातों से पैसे को सेबी पंजीकृत फंड में ट्रांसफर किया जाता था. इस पैसे को विदेश भेजने या इसे लूटने के लिए उन्होंने इंपोर्ट सर्विसेस का सहारा लिया, जबकि वास्तव में ऐसी कोई सर्विस नहीं दी गई या ली गई और अंततः फंड को देश के बाहर विभिन्न टैक्स हेवन या छोटे यूरोपीय देशों में ट्रांसफर किया गया.
OctaFX समूह के संस्थापक पावेल प्रोज़ोरोव की भूमिका?
मेसर्स OctaFX इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (अब टौगा प्राइवेट लिमिटेड) के निदेशक और रूसी नागरिक पावेल प्रोज़ोरोव, OctaFX के वैश्विक फॉरेक्स और सीएफडी ट्रेडिंग संचालन के पीछे के मास्टरमाइंड हैं. उन्होंने अवैध फंड की उत्पत्ति को छिपाने और शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग को सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए नेटवर्क का संचालन किया. प्रोज़ोरोव द्वारा विनियामक खामियों का फायदा उठाना और भारत में नकली संस्थाओं की स्थापना करना वित्तीय धोखाधड़ी के लिए उनके सुनियोजित दृष्टिकोण का उदाहरण है. उन्होंने इन संस्थाओं का उपयोग रिकॉर्ड में हेरफेर करने के लिए किया, जिससे संदेह पैदा किए बिना विदेशों में धन हस्तांतरित किया जा सके.
इसके अलावा, प्रोज़ोरोव ने भारतीय निवेशकों को टारगेट करते हुए बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान चलाए, जिसमें सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट और स्पॉन्सरशिप शामिल था, जिससे OctaFX को बाज़ार में और भी मजबूती मिली. उनके कार्यों में सावधानीपूर्वक लेयरिंग, प्लेसमेंट और लॉन्डर किए गए फंड को विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के रूप में एकीकृत करना शामिल था, जिससे उनके मूल को गलत तरीके से दर्शाया गया. ईडी से कई बार समन के बावजूद, प्रोज़ोरोव ने इसका पालन नहीं किया. संस्थाओं का एक जटिल जाल स्थापित करने और वित्तीय प्रवाह को व्यवस्थित करने में उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी स्पष्ट रूप से पीएमएलए की धारा 3 के अंतर्गत आती है, क्योंकि वह अपराध की आय को छिपाने, कब्जे में लेने, अधिग्रहण करने और उपयोग करने में लगे हुए थे. बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी को सुविधाजनक बनाने और नियामक निरीक्षण से बचने में उनकी भूमिका के लिए वह पीएमएलए की धारा 4 के तहत दंड के लिए भी उत्तरदायी हैं.
ईडी ने एमएलएटी, म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी के माध्यम से स्पेन में पावेल की 41 करोड़ रुपये की कुछ आलीशान संपत्तियां जब्त की हैं.
OctaFX इंडिया की पूर्व भारतीय सीईओ अन्ना रुदैया की भूमिका?
मैसर्स OctaFX इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (अब टौगा प्राइवेट लिमिटेड) की पूर्व सीईओ अन्ना रुदैया भी रूसी नागरिक हैं, उन्हें पिछले साल तलब किया गया था और उनका बयान एक बार ईडी अधिकारियों द्वारा दर्ज किया गया था, लेकिन एक दिन बाद एजेंसी द्वारा तलब किए जाने के बावजूद वे पेश नहीं हुईं. उनके नाम पर पहले से ही एक लुकआउट सर्कुलर जारी था, लेकिन वे किसी संदिग्ध भूमि सीमा के माध्यम से अवैध चैनलों के माध्यम से देश से भागने में सफल रहीं और उन्होंने बताया कि वे वर्तमान में भारत से बाहर हैं.
उन्होंने अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों से जुड़े भारतीय परिचालनों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके नेतृत्व में, OctaFX ने आरबीआई और सेबी द्वारा अनिवार्य नियामक ढांचे का उल्लंघन करते हुए अनधिकृत व्यापार को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम आयोजित किए. रुदैया की भागीदारी में भारतीय निवेशकों को आकर्षित करने वाली मार्केटिंग रणनीतियों की देखरेख करना और उनके मूल को छिपाने के लिए जटिल परतों के माध्यम से अवैध आय को प्रसारित करना शामिल था. ईडी की ओर से कई बार समन भेजे जाने के बावजूद, वह अनुपालन से बचती रहीं और भारत से भाग गईं.
इसके बाद भी रुदैया ने दूर से ही संचालन का प्रबंधन जारी रखा और OctaFX की गतिविधियों को एक अलग आड़ में जारी रखने के लिए मेसर्स एपीएसी स्टॉक ब्रोकरेज ऑपरेशंस प्राइवेट लिमिटेड के गठन में मदद की. उनके कार्यों ने सीधे तौर पर अपराध की आय को वैध बनाने में योगदान दिया, जो अवैध धन को छिपाने, कब्जे में रखने, अधिग्रहण करने और उपयोग करने के माध्यम से पीएमएलए की धारा 3 की आवश्यकताओं को पूरा करता है. सबूतों के आधार पर, सुश्री रुदैया को अवैध विदेशी मुद्रा व्यापार और लॉन्ड्रिंग गतिविधियों को बढ़ावा देने में उसकी सक्रिय भागीदारी के लिए पीएमएलए की धारा 3 और 4 के तहत फंसाया गया है.
मामले में ईडी का आरोपपत्र और कुर्की
ईडी मुंबई ने पहले 1 अक्टूबर 2024 को माननीय विशेष न्यायालय (पीएमएलए), मुंबई के समक्ष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत मेसर्स OctaFX और इसकी संबद्ध संस्थाओं के खिलाफ अभियोजन शिकायत (पीसी) और 20 दिसंबर 2024 को पूरक अभियोजन शिकायत दायर की थी. न्यायालय ने 24 दिसंबर 2024 को पीसी और पूरक पीसी का संज्ञान लिया है. ईडी ने व्यापक तलाशी कार्यवाही की है और अब तक स्पेन में स्थित 19 अचल संपत्तियों की कुर्की सहित लगभग 165 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क और जब्त की है.
ये संपत्तियां मुख्य आरोपी पावेल प्रोज़ोरोव की हैं, जो OctaFX ऑपरेशन के पीछे का मास्टरमाइंड है. ईडी अधिकारियों ने कहा कि आगे की जांच जारी है.
ऑक्टा के प्रवक्ता ने आरोपों से किया इनकार
ऑक्टा एफएक्स के प्रवक्ता ने इस संबंध में बयान जारी किया है. प्रवक्ता ने कहा कि 2011 से, ऑक्टा (पूर्व-OctaFX) ने वित्तीय उद्योग में एक ठोस प्रतिष्ठा स्थापित की है, दुनिया भर में सैकड़ों हज़ारों संतुष्ट ग्राहक हमारी सेवाओं की गुणवत्ता और विश्वसनीयता की गवाही देते हैं.
हम मनी लॉन्ड्रिंग, अत्यधिक रिटर्न के झूठे वादों या व्यापारियों को नुकसान पहुंचाने वाली प्रथाओं में शामिल होने के किसी भी दावे का दृढ़ता से खंडन करते हैं. आरोपों के विपरीत, हमने कभी भी त्वरित धन या गारंटीकृत मुनाफे का वादा नहीं किया है. इसके बजाय, हम लगातार इस बात पर ज़ोर देते हैं कि फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग के लिए एक जानकार और सचेत दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है. इस दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए, हम व्यापक शैक्षिक संसाधन प्रदान करते हैं, जो ग्राहकों को सूचित निर्णय लेने में मदद करने के लिए हमारी वेबसाइट, YouTube चैनल और ऑक्टा ऐप पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं.