बांग्लादेश में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. उपद्रवी अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं. हिंसक भीड़ ने सोमवार को 27 शहरों में हिंदू कारोबारी से लूटपाट की. उपद्रवियों ने मेहरपुर में स्थित इस्कॉन मंदिर में भी तोड़फोड़ की गई है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने पर विश्व हिंदू परिषद ने आपत्ति जताई है और कहा कि संकट की इस घड़ी में भारत एक मित्र के रूप में बांग्लादेश के संपूर्ण समाज के साथ मजबूती से खड़ा है.
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने मंगलवार को आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि ये दुर्भाग्य की बात है. सरकार गिर गई, पीएम को देश छोड़ा पड़ा, आंदोलन का उद्देश्य पूरा हो गया. पर कुछ आईएसआई के तत्व इस आंदोलन को अल्पसंख्यकों की ओर मोड़ना चाहते हैं और इसी के तहत बांग्लादेश के हर जिले में अल्पसंख्यकों के कारोबार प्रतिष्ठान, घर और पूजा स्थलों को नुकसान पहुंचाया है. दो पार्षद की हत्या कर दी, काली मंदिर में आग लगा दी. इस्कॉन मंदिर को भी नुकसान पहुंचाया है, ये अच्छा नहीं है.
‘बांग्लादेश में थे 32% हिंदू’
उन्होंने कहा कि एक वक्त पर बांग्लादेश में 32 प्रतिशत हिंदू थे. पर आज वहां 8 प्रतिशत हिंदू हैं. अगर उनके ऊपर भी हमले होते हैं तो पूरे विश्व को सोचना चाहिए. हस्तक्षेप करना चाहिए और भारत उनका पड़ोसी देश है. हमारी जिम्मेदारियां ज्यादा हैं, हम अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते. भारत सरकार को हर संभव कदम उठाने चाहिए और उन्हें हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. हम तो बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से भी अपेक्षा करेंगे कि वह अपने कर्तव्य का पालन करे.
आलोक कुमार ने कहा कि हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिंदुओं, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और घरों में भी तोड़फोड़ की गई है. कल रात तक अकेले पंचगढ़ जिले में 22 घर, झेनाइदाह में 20 घर और जेसोर में 22 दुकानों को कट्टरपंथियों ने निशाना बनाया और कई जिलों में तो श्मशान घाटों में भी तोड़फोड़ की गई है.
‘बद से बदतर होती जा रही है अल्पसंख्यकों की हालत’
विहिप अध्यक्ष ने यह भी कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं और महिलाओं, बच्चों के घर, दुकानें, कार्यालय, व्यापारिक प्रतिष्ठान और यहां तक कि उनके पूजा स्थल जैसे मंदिर और गुरुद्वारे भी सुरक्षित नहीं हैं. कहा जा सकता है कि वहां उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की हालत बद से बदतर होती जा रही है.
यह स्थिति चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में विश्व समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावी कार्रवाई करे.
‘सीमाओं पर हो कड़ी निगरानी’
उन्होंने यह भी कहा संभव है कि इस स्थिति का फायदा उठाकर 4,096 किलोमीटर (2,545 मील) लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा के माध्यम से भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की बड़ी कोशिश की जा सकती है. हमें इसे लेकर बेहद सतर्क रहना होगा.’ इसलिए हमारे सुरक्षा बलों के लिए जरूरी है कि वे सीमाओं पर 24×7 कड़ी निगरानी रखें और किसी भी तरह की घुसपैठ न होने दें.
विहिप अध्यक्ष ने कहा कि हम चाहते हैं कि बांग्लादेश में जल्द-से-जल्द लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष सरकार बने. वहां के समाज को मानवाधिकार मिले और बांग्लादेश की निरंतर आर्थिक प्रगति में कोई बाधा न आए. भारत का समाज और सरकार इस मामले में बांग्लादेश का समर्थन करती रहेगी.