देश का दूसरा सबसे बड़ा गोगा मेला सहारनपुर में, 850 वर्षों से जारी परंपरा,हर साल पहुंचते हैं 15 लाख भक्त

सहारनपुर: राजस्थान के बागड़ के बाद बाबा जाहरवीर गोगा जी महाराज का सहारनपुर में देश का दूसरा सबसे बड़ा मेला आयोजित होता है.यह मेला लगभग 850 वर्षों से निरंतर लग रहा है।ऐसा कहा जाता है कि मुगल काल में जब मंदिरों को खंडित कर पूजा-पाठ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, तब बाबा जाहरवीर गोगा जी महाराज ने झंडा पूजन की परंपरा शुरू की थी.

 

 

नीले झंडे के माध्यम से उन्होंने सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार किया, जो आज तक निरंतर जारी है।अंग्रेजी शासनकाल में भी इस मेले को बंद कराने का प्रयास किया गया था.मान्यता है कि तब बाबा ने अपनी शक्ति से अंग्रेजों के घरों में साँप भेज दिए थे, जिससे डरकर अंग्रेजों ने एक दिन के मेले को तीन दिन का कर दिया.तब से यह मेला तीन दिवसीय हो गया.

 

इस मेले में हर साल करीब 10 से 15 लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, बाबा जाहरवीर महाराज स्नान के लिए सहारनपुर से हरिद्वार जाया करते थे और गंगोह मार्ग पर अपनी सेना के साथ पड़ाव डालते थे.करीब 850 वर्ष पूर्व, उन्होंने वहाँ कबली भगत को मछली पकड़ते देखा और उन्हें यह कार्य छोड़ने को कहा.

 

कबली भगत ने जीविका चलाने की मजबूरी बताई, जिस पर बाबा ने उन्हें धर्म के प्रचार के लिए झंडा सौंपा और आशीर्वाद दिया कि उनकी सभी परेशानियाँ दूर हो जाएंगी.इसके बाद कबली भगत ने उसी स्थान पर म्हाड़ी की स्थापना की.बाबा जाहरवीर गोगा जी महाराज ने उन्हें चाँदी का नेजा (भाला) भेंट किया था..हर वर्ष हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड सहित देशभर से 10 से 15 लाख श्रद्धालु नीला निशान लेकर और प्रसाद चढ़ाने के लिए यहां आते हैं. यह पवित्र म्हाड़ी सहारनपुर शहर से करीब 3 किलोमीटर दूर, गंगोह रोड पर स्थित है.

 

 

यहां बाबा श्री गोरखनाथ के शिष्य श्री जाहरवीर गोगा जी महाराज की भव्य महिमा आज भी श्रद्धा और आस्था के साथ जीवंत है.

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