सहारनपुर: 70 साल से जारी दंगल परंपरा, यूपी-उत्तराखंड-हरियाणा-पंजाब के सैकड़ों पहलवानों ने दिखाया दम

सहारनपुर: रक्षाबंधन के पावन अवसर पर सहारनपुर के बाबा लाल दास स्थित फुलवारी आश्रम में भव्य दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया.

यह आयोजन पिछले 70 वर्षों से लगातार हो रहा है और अब यह न सिर्फ सहारनपुर, बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी एक पहचान बना चुका है। इस बार भी दंगल में उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों से सैकड़ों नामी-गिरामी पहलवानों ने भाग लिया और अपने दमखम का प्रदर्शन किया.

दंगल का माहौल पूरी तरह रोमांचक और उत्साह से भरा रहा। जैसे ही पहलवान अखाड़े में उतरे, दर्शकों ने ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच उनका उत्साह बढ़ाया. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने पहलवानों के दांव-पेच का लुत्फ उठाया. पारंपरिक कुश्ती की इस प्रतियोगिता में कई रोमांचक मुकाबले देखने को मिले, जिनमें युवा और अनुभवी पहलवानों ने अपनी ताकत और तकनीक से दर्शकों का दिल जीता.गुरु जगमोहन भारद्वाज ने बताया कि इस दंगल परंपरा की शुरुआत गुरु घसीटू महाराज ने की थी। उनके बाद बनारसी पहलवान, फिर जगदीश पहलवान, बलजीत पहलवान और जसवंत पहलवान ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया. “हम अपने गुरुजनों की दी हुई इस अमानत को हर साल निभा रहे हैं। यह सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे हम आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना चाहते हैं,” उन्होंने कहा।दंगल के अंत में विजेता पहलवानों को पुरस्कार और सम्मान देकर प्रोत्साहित किया गया.

आयोजकों का कहना है कि इस तरह के आयोजन न केवल खेल को बढ़ावा देते हैं, बल्कि भाईचारे और सामाजिक एकजुटता को भी मजबूत करते हैं. रक्षाबंधन पर आयोजित यह दंगल, खेल और संस्कृति के संगम का अद्भुत उदाहरण बना.

Advertisements