सहारनपुर: कांवड़ यात्रा को ‘बेरोजगारी’ बताने पर भड़के स्वामी ज्ञानानंद, बोले- यह सनातन की आस्था का अपमान

सहारनपुर: जिले के देहरादून रोड स्थित कांवड़ शिविर में पहुंचे संत महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने सावन माह और कांवड़ यात्रा को लेकर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह महीना हरियाली, समृद्धि और अध्यात्मिक उल्लास से परिपूर्ण होता है. उन्होंने कहा कि सावन के दौरान शिवभक्त गंगा जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं और कांवड़ यात्रा इसी भावना का सजीव चित्रण है. स्वामी ने कहा कि लाखों श्रद्धालु सैकड़ों किलोमीटर दूर से गंगाजल लेकर कांवड़ में यात्रा करते हैं. उनके लिए जो सेवा शिविर लगाए जाते हैं, वे न केवल आवश्यक हैं, बल्कि धर्म के प्रति सेवा का महत्वपूर्ण स्वरूप भी हैं.

उन्होंने ‘कालनेमि अभियान’ पर अपनी बात रखते हुए कहा कि यह किसी को अपमानित करने के लिए नहीं, बल्कि सत्य और वास्तविकता को सामने लाने के लिए चलाया जा रहा है. स्वामी ने कहा कि हनुमान जी ने कालनेमि जैसे कपटी साधु के भेषधारी व्यक्ति को पहचानकर उसे समाप्त किया था. आज भी जब धर्म के नाम पर कपट होता है या धर्मांतरण के प्रयास होते हैं, तब ऐसे अभियानों की प्रासंगिकता और भी अधिक हो जाती है.

सपा नेता द्वारा कांवड़ यात्रा को “बेरोजगारों की यात्रा” कहे जाने पर उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि ऐसे बयान हास्यास्पद हैं और सनातन आस्था का अपमान करते हैं. दो-चार कदम चलकर देख लें, फिर समझ में आएगा कि सैकड़ों किलोमीटर कांवड़ लेकर चलना कितनी कठिन तपस्या है. उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी को लगता है कि यह बेरोजगारी का प्रमाण है, तो भंडारे में आकर बैठ जाएं, कोई मना नहीं करेगा क्योंकि सनातन धर्म में सेवा सबके लिए है. लेकिन आस्था का उपहास उड़ाना पूरी तरह से अनुचित है.

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