प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति सौरभ की हत्या करने वाली मुस्कान इस समय साहिल के साथ मेरठ जिला जेल में बंद है. हालांकि, दोनों को अलग-अलग बैरकों में रखा गया है, जिससे वे एक-दूसरे से नहीं मिल पा रहे हैं. बताया जा रहा है कि दोनों ने जेल प्रशासन से एक ही बैरक में रहने की गुजारिश की थी, लेकिन जेल मैन्युअल के अनुसार यह संभव नहीं था. इस कारण से जेल प्रशासन ने दोनों को नई अलग-अलग बैरक आवंटित कर दी.
बताया जा रहा है कि साहिल और मुस्कान दोनों एक-दूसरे से मिलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जेल प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि नियमों के अनुसार यह संभव नहीं है. जेल अधिकारियों का कहना है कि जेल के नियमों को ध्यान में रखते हुए ही किसी भी कैदी की मांग पर विचार किया जाता है. फिलहाल, मुस्कान और साहिल को अलग-अलग बैरकों में ही रहना होगा और अपनी सजा काटनी होगी.
जेल में काम करने की मिली मंजूरी
मेरठ जिला जेल प्रशासन ने जेल नियमों के तहत मुस्कान और साहिल को कार्य सौंप दिया है. दोनों ने अपनी रुचि के अनुसार जेल के अंदर काम करने की इच्छा जताई, जिसे जेल प्रशासन ने स्वीकार कर लिया. मुस्कान ने सिलाई-कढ़ाई का काम सीखने की मांग की, जबकि साहिल ने खेती-किसानी करने की इच्छा जताई. जेल प्रशासन के मुताबिक, दोनों को उनकी रुचि के अनुसार कार्य में शामिल किया जाएगा.
मुस्कान सीखेगी सिलाई-कढ़ाई
मुस्कान ने जेल प्रशासन से सिलाई-कढ़ाई सीखने की इच्छा जाहिर की थी. प्रशासन ने उसे यह प्रशिक्षण देने की मंजूरी दे दी है. जेल में ही उसे सिलाई का पूरा प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वह इस कौशल में निपुण हो सके. प्रशिक्षण पूरा होने के बाद मुस्कान विभिन्न वस्त्रों की सिलाई कर सकेगी, जिससे उसे भविष्य में रोजगार के अवसर मिल सकते हैं.
साहिल को खेती-किसानी का मिलेगा प्रशिक्षण
साहिल ने खेती करने की इच्छा जताई थी, जिसे प्रशासन ने मान लिया है. उसे सब्जी और फल उगाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा. जेल परिसर में स्थित खेतों में वह कार्य करेगा और उसके द्वारा उगाई गई सब्जियों को जेल में बंद अन्य कैदियों के भोजन के लिए उपयोग में लाया जाएगा. इसके बदले उसे प्रतिदिन 50 रुपये की मजदूरी मिलेगी.
10 दिन बाद मिलता है काम
मेरठ जिला जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने बताया कि जेल नियमों के तहत किसी भी बंदी को 10 दिन पूरे होने के बाद कार्य आवंटित किया जाता है. मुस्कान और साहिल दोनों 1 अप्रैल से अपने-अपने चुने हुए कार्यों को शुरू करेंगे. यह प्रक्रिया जेल सुधार प्रणाली का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य कैदियों को कौशल प्रदान करना और उन्हें व्यस्त रखना है.
जेल में बंदियों के लिए होते हैं ये तीन प्रकार के कार्य
स्किल्ड वर्क (प्रशिक्षित कार्य): इसमें वे कार्य शामिल होते हैं, जिनके लिए किसी कौशल की आवश्यकता होती है, जैसे कि सिलाई, बढ़ईगिरी, मूर्तिकला आदि. नॉन-स्किल्ड वर्क (अप्रशिक्षित कार्य): इसमें ऐसे कार्य आते हैं, जिन्हें बिना किसी प्रशिक्षण के किया जा सकता है, जैसे सफाई, खेती आदि. ट्रेनिंग (प्रशिक्षण कार्य): इसमें कैदियों को किसी नए कौशल की ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे वे भविष्य में आत्मनिर्भर बन सकें.
साहिल को मिलेगा प्रतिदिन 50 रुपये का मेहनताना, मुस्कान को नहीं
साहिल को खेती के काम में लगाया गया है, जिसे जेल नियमों के तहत ‘नॉन-स्किल्ड वर्कर’ माना जाता है. इसके बदले उसे प्रतिदिन 50 रुपये की मजदूरी मिलेगी. अगर वह खेती करने में असमर्थ रहता है, तो उसे किसी अन्य कार्य में लगाया जाएगा. दूसरी ओर, मुस्कान ने सिलाई-कढ़ाई सीखने का विकल्प चुना है. चूंकि यह प्रशिक्षण कार्य की श्रेणी में आता है, इसलिए उसे इसके लिए कोई मजदूरी नहीं मिलेगी. हालांकि, जब वह पूरी तरह से सिलाई कार्य में दक्ष हो जाएगी और वस्त्रों की सिलाई करने लगेगी, तब उसे वेतन देने की व्यवस्था की जा सकती है.