प्रेमानंद पर रामभद्राचार्य की टिप्पणी से संतों में आक्रोश, बोले- माफी मांगें और पद्मश्री लौटाएं

प्रेमानंद महाराज को लेकर तरह-तरह के बयान अक्सर सुनने को मिलते रहते हैं लेकिन इस बार जो बयान सामने आया है वह सबको चौंका देने वाला है. यह बयान किसी और ने नहीं बल्कि खुद तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने दिया है. उन्हें देश में सबसे बड़े विद्वानों की श्रेणी में रखा जाता है. रामभद्राचार्य महाराज का एक बयान इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.

सोशल मीडिया पर किसी भी तरह के बयान वायरल हो जाएं तो उस पर बहस छिड़ जाती है. अब रामभद्राचार्य महाराज के प्रेमानंद पर दिए गए बयान को लेकर लोग तरह-तरह की टिप्पणियां करने लगे हैं. संत समाज रामभद्राचार्य महाराज के बयानों को गलत बता रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्हें प्रेमानंद महाराज से माफी मांगनी चाहिए.

दरअसल मामला यह है कि रामभद्राचार्य महाराज ने कहा था कि ‘प्रेमानंद मेरे बालक जैसा है और प्रेमानंद यदि मुझे संस्कृत का हिंदी में अर्थ करके बता दे मैं उसे चैलेंज देता हूं.’ इस बयान के बाद ब्रज क्षेत्र के संत समाज में आक्रोश है और मामला लगातार गरमाता जा रहा है.

संत बोले- ऐसी उम्मीद नहीं थी

इस बयान के बाद वृंदावन के राधा नंद गिरी जी के आश्रम में संत समाज ने एक बैठक रखी जहां पर इस बयान का विरोध किया गया और माफी की मांग की गई. महंत रामदास महाराज ने कहा कि संत को संत की बुराई नहीं करनी चाहिए. वहीं श्री कृष्ण जन्मभूमि का केस लड़ रहे फलाहारी बाबा ने कहा कि यह अहंकार की वाणी है. इस बैठक में संतों ने रामभद्राचार्य महाराज के शब्दों की निंदा की है. उन्होंने कहा है कि इतने बड़े महाराज से हमें यह उम्मीद नहीं थी कि वह प्रेमानंद महाराज के बारे में ऐसे विचार प्रकट करेंगे.

पद्म श्री सम्मान वापस लौटाने की मांग

श्री कृष्ण जन्मभूमि केस के मुख्य याचिकाकर्ता दिनेश फलाहारी महाराज ने कहा कि रामभद्राचार्य महाराज को अपना पद्म श्री सम्मान लौटा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि रामभद्राचार्य महाराज जगत्गुरु हैं और उन्हें हर संत को अपने गले से लगाना चाहिए. कई संतों ने उनके बयान पर खुले तौर पर विरोध जताया है.

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