मेरठ में आध्यात्मिक गुरु रामभद्राचार्य के हाल ही में दिए गए बयान पर राजनीति गरमा गई है. जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक कथा के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश को मिनी पाकिस्तान बताया था जिस पर कई विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है. कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने उनके इस बयान को ओछा और सनातन धर्म की परंपराओं के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि संतों का धर्म समाज को जोड़ने का होता है न कि लोगों को धर्म और राजनीति के आधार पर बांटने का.
सुरेंद्र राजपूत ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि अगर किसी को हिंदू-मुसलमान की ही राजनीति करनी है तो उसके लिए भाजपा का दरवाजा हमेशा खुला है, लेकिन साधु-संतों को इस रास्ते पर नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि संत समाज में शांति और भाईचारे का संदेश देने के लिए होते हैं न कि राजनीतिक विभाजन करने के लिए.
कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि भारत की परंपरा हमेशा वसुधैव कुटुम्बकम यानी पूरी दुनिया को एक परिवार मानने की रही है, लेकिन जब संत ओछी बयानबाजी करने लगते हैं तो समाज में गलत संदेश जाता है. सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि अगर रामभद्राचार्य जी को सामाजिक या धार्मिक जीवन में कोई दिक्कत महसूस हो रही है और वो राजनीति में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है, लेकिन सनातन धर्म को इस तरह के बयानों से बदनाम करने की कोशिश न करें.
सुरेंद्र राजपूत ने निशाना साधते हुए कहा कि एक संत वह होता है जो समाज को जोड़ता है और भाईचारे की मिसाल पेश करता है, लेकिन भारत-पाकिस्तान या फिर मिनी पाकिस्तान जैसे बयान संत की पहचान नहीं हो सकते.
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मेरठ में एक धार्मिक कथा के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश को मिनी पाकिस्तान कह दिया था. उनके इस बयान से गहरी नाराजगी पैदा हो गई है. कई नेताओं ने इसे सौहार्द बिगाड़ने वाला और अनुचित बयान बताया है.