सिनेमा में हम यह कहानी देखते रहे हैं कि परिवार का कोई सदस्य अचानक लापता हो जाता है, तो उसे मरा हुआ समझकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. फिर कुछ वर्षों बाद वह इंसान अपने परिवार के सामने आकर खड़ा हो जाता है. लेकिन ऐसा एक मामला हकीकत में सामने आया है. कर्नाटक की रहने वाले साकम्मा कई साल पहले लापता हो गई थीं. परिजनों ने उन्हें मरा हुआ मानकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया.
करीब ढाई दशक बाद साकम्मा हिमाचल प्रदेश के मंडी में जिंदा मिलीं, तो परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा. साकम्मा कर्नाटक में अपने परिवार से मिलने जा रही हैं और यह सब संभव हो पाया है मंडी जिला प्रशासन के प्रयासों से. उन्हें 25 दिसंबर की सुबह 8 बजे कर्नाटक के लिए भेजा जाएगा. साकम्मा के पति की मृत्यु हो चुकी है. चंडीगढ़ से साकम्मा हवाई मार्ग से कर्नाटक जाएंगी. प्रशासन ने सभी कागजी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद साकम्मा को कर्नाटक से आए अधिकारियों के हवाले कर दिया है.
साकम्मा 25 साल पहले कर्नाटक से भटकर उत्तर भारत आ पहुंची थीं
साकम्मा 25 साल पहले कर्नाटक से भटकर उत्तर भारत आ पहुंची थीं और यहां गुरबत की जिंदगी जी रही थीं. वर्ष 2018 में साकम्मा को हिमाचल में लावारिस हालत में पाया गया था. उन्हें स्थानीय प्रशासन ने वृद्धा आश्रम में रखवाया. मौजूदा समय में साकम्मा भंगरोटू वृद्ध आश्रम में रह रही थीं. मंडी के डिप्टी कमिश्नर अपूर्व देवगन ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी समय-समय पर ऐसे सभी वृद्धा आश्रमों का दौरा करके वहां की सुविधाओं का जायजा लेते रहते हैं. गत 18 दिसंबर को मंडी के असिस्टेंट डिप्टी कमिश्नर रोहित राठौर जब भंगरोटू वृद्धा आश्रम पहुंचे तो उन्होंने यहां साकम्मा को देखा. उन्हें पता चला कि 70 वर्षीय महिला को हिंदी नहीं आती और वह कर्नाटक की हैं.
मंडी एडीसी रोहित राठौर ने साकम्मा से कन्नड़ भाषा में बात करने के लिए पालमपुर की एसडीएम नेत्रा मैत्ती से संपर्क किया. नेत्रा कर्नाटक की रहने वाली हैं. उन्होंने साकम्मा से फोन पर कन्नड़ भाषा में बात की और उनके घर और परिवार के बारे में जानकारी जुटाई. इसके बाद नेत्रा मैत्ती ने मंडी जिला में कार्यरत कर्नाटक निवासी आईपीएस प्रोबेशनर रवि नंदन को भंगरोटू वृद्ध आश्रम भेजा. उन्होंने साकम्मा के साथ अपनी बातचीत का एक वीडियो बनवाकर, उसे कर्नाटक सरकार के साथ शेयर किया.
मंडी प्रशासन की सजगता ने साकम्मा को उनके परिवार से मिलवाया
मंडी के डिप्टी कमिश्नर अपूर्व देवगन ने बताया कि प्रदेश सरकार, अधिकारियों और कर्नाटक सरकार के सहयोग से साकम्मा के परिवार वालों को ढूंढ लिया गया है. परिवार के लोग 25 वर्ष पहले ही सकम्मा को मरा हुआ समझकर उनका अंतिम संस्कार कर चुके थे. परिवार ने साकम्मा के गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. इसके कुछ दिन बाद कर्नाटक में एक दुर्घटना में किसी महिला का क्षत विक्षत शव मिला था. पुलिस ने साकम्मा के परिजनों को सूचित किया. उन्होंने साकम्मा को मृत समझकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया.
साकम्मा की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. उन्हें 25 वर्ष पहले की बातें ही याद हैं और वह कन्नड़ भाषा में यही कहती हैं कि उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं. उन्हें यह नहीं मालूम कि उनके छोटे-छोटे बच्चे अब माता-पिता बन चुके हैं. साकम्मा के चार बच्चे थे, जिनमें से तीन जीवित हैं. उनमें दो बेटे और एक बेटी है. इन सभी की शादियां हो चुकी हैं. कर्नाटक सरकार ने साकम्मा को मंडी से वापस लाने के लिए तीन अधिकारियों को यहां भेजा है. कर्नाटक के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से आए वरिष्ठ अधीक्षक बासोराव हेमजी ने हिमाचल प्रदेश सरकार और मंडी जिला प्रशासन के अधिकारियों का आभार जताया. उन्होंने कहा कि यह एक असंभव सी बात थी, जो मंडी जिला प्रशासन के प्रयासों से संभव हो पाई है.