टाटा कंसल्टेंसी की तरफ से हाल में करीब 12 हजार कर्मचारियों की छंटनी का फैसला लिया गया है. कंपनी के इस फैसले से आईटी सेक्टर में हड़कंप मच गया. इसके बादा टाटा के शेयरों में बड़ी गिरावट देखी गई है और इस साल निफ्टी पर आईटी स्टॉक्स का सबसे घटिया प्रदर्शन रहा. पिछले साल की तुलना में इस साल अब तक 25 प्रतिशत से ज्यादा इसके शेयर लुढ़क गए तो वहीं सिर्फ एक महीने में इसका शेयर 12 प्रतिशत नीचे गिर गया.
टीसीएस की नई प्लानिंग
हालांकि, यह एक बड़ा संगठनात्मक बदलाव है. रिपोर्ट में कहा गया है कि TCS के सीईओ की तरफ से यह आश्वस्त किया है कि छंटनी चरणबद्ध तरीके से की जाएगी, ताकि तत्काल व्यवधान को न्यूनतम किया जा सके. यह कदम कंपनी की लागत-प्रबंधन रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखना और ऑपरेशनल एफिशिएंसी को बढ़ाना है.
इस बीच, इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, TCS अपने खर्च को बचाने के लिए कदम उठा सकती है, जिसमें अनुभवी पेशेवरों की भर्ती पर रोक और कर्मचारियों की सेलरी इनक्रीमेंट को टालने का फैसला कर सकती है. कंपनी की तरफ से 12 हजार कर्मचारियों की छंटनी के फैसले के सिर्फ दो दिनों के भीतर ही टीसीएस की बाजार से पूंजी 28,148.72 करोड़ रुपये कम हो गई.
नई रिक्रूटमेंट पर रोक
टीसीएस अब उन कर्मचारियों के लिए अपनी इंटरनल पॉलिसीज को बेहद सख्त कर दिया है, जो फिलहाल किसी क्लाइंट प्रोजेक्ट पर तैनात नहीं हैं (जिन्हें ‘बेंच’ पर कहा जाता है). ऐसे स्टाफ को अब केवल 35 दिनों का समय दिया गया है ताकि वे किसी बिलेबल असाइनमेंट (प्रोजेक्ट) में शामिल हो सकें, अन्यथा उन्हें कंपनी छोड़नी होगी. इस तरह की स्टाफ में कटौती की प्रक्रिया हैदराबाद, पुणे, चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों में पहले ही शुरू हो चुकी है.
ईटी रिपोर्ट के मुताबिक, लेटरल हायर (अनुभवी कर्मचारियों) की ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया में अब 65 दिनों से अधिक की देरी हो रही है. यह प्रक्रिया में आई बड़ी धीमापन को दर्शाता है, जो प्रोजेक्ट डिलीवरी और टीम की उत्पादकता को प्रभावित कर सकता है.
रिपोर्ट में एक सीनियर आईटी एनालिस्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि मिड-सीनियर स्तर पर की गई छंटनियों से अकेले ही TCS को सालाना करीब 300–400 मिलियन डॉलर (लगभग 2,400–3,600 करोड़ रुपये) की बचत हो सकती है. इससे ऑपरेटिंग मार्जिन में 100–150 बेसिस प्वाइंट (bps) का सुधार संभव है.