सैम पित्रोदा ने ‘पाकिस्तान घर जैसा लगा’ वाले बयान पर दी सफाई, कहा- किसी की पीड़ा को कम आंकना उद्देश्य नहीं

कांग्रेस नेता और ओवरसीज इंडियन कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा ने अपने उस बयान पर स्पष्टीकरण जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘मैं पाकिस्तान गया, तो मुझे वहां घर जैसा महसूस हुआ.’ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पित्रोदा के इस बयान पर पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि यह इस्लामाबाद के प्रति पार्टी की कथित नरमी का सबूत है

अब सैम पित्रोदा ने अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से एक लंबे-चौड़े पोस्ट में स्पष्टीकरण दिया है. उन्होंने लिखा, ‘हाल ही की चर्चाओं के मद्देनजर, मैं अपने वक्तव्य को स्पष्ट करना चाहता हूं और उसे IANS को दिए अपने साक्षात्कार के पूर्ण संदर्भ में रखना चाहता हूं. मेरा उद्देश्य हमेशा उन वास्तविकताओं की ओर ध्यान आकर्षित करना रहा है जिनका हमें सामना करना पड़ रहा है. चुनावी प्रक्रिया से जुड़े मुद्दे, नागरिक समाज और युवाओं का महत्व, और भारत की भूमिका- चाहे अपने पड़ोस में हो या वैश्विक स्तर पर

पित्रोदा ने आगे लिखा, ‘जब मैंने कहा कि पड़ोसी देशों की यात्रा के दौरान मुझे अक्सर घर जैसा महसूस होता है, या यह कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से हमारी जड़ें साझा हैं, तो मेरा आशय साझा इतिहास और लोगों के बीच रिश्तों पर जोर देना- था न कि पीड़ा, संघर्ष, या आतंकवाद और भू-राजनीतिक तनावों से उत्पन्न गंभीर चुनौतियों को नजरअंदाज करना. इसी तरह, जब मैंने विश्वगुरु की अवधारणा को चुनौती दी और कहा कि यह एक मिथक है कि भारत हमेशा सबकी सोच के केंद्र में है, तो मेरी टिप्पणियां छवि पर अति-आत्मविश्वास के बजाय सार्थकता पर जोर देने पर थीं.’

किसी की पीड़ा को कम आंकने का इरादा नहीं

उन्होंने आगे कहा, ‘विदेश नीति को वास्तविक प्रभाव, आपसी विश्वास, शांति और क्षेत्रीय स्थिरता पर आधारित होना चाहिए न कि दिखावे या खोखले दावों पर. हमें लोकतंत्र की रक्षा करनी होगी: मुक्त और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना; संस्थाओं को मजबूत करना; युवाओं को सशक्त बनाना; अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करना; और विभाजनकारी राजनीति का विरोध करना. ये कोई दलीय मुद्दे नहीं हैं- ये हमारी राष्ट्रीय पहचान और मूल्यों के केंद्र में हैं. यदि मेरे शब्दों ने किसी को भ्रमित किया, तो मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरा उद्देश्य किसी की पीड़ा को कम आंकना या वैध चिंताओं को नजरअंदाज करना नहीं था, बल्कि ईमानदार संवाद, सहानुभूति, और एक अधिक ठोस तथा जिम्मेदार दृष्टिकोण को बढ़ावा देना था, जिससे भारत स्वयं को देखता है और दुनिया उसे देखती है.’

सैम पित्रोदा के किस बयान पर मच गया बवाल?

सैम पित्रोदा ने IANS को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘मेरे हिसाब से हमारी विदेश नीति को सबसे पहले अपने पड़ोस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. क्या हम वाकई अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों में काफी सुधार ला सकते हैं? वे सभी छोटे देश हैं. उन्हें मदद की जरूरत है. वे सभी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, और उनके साथ संघर्ष की कोई जरूरत नहीं है. बेशक, हिंसा की समस्या है; बेशक, आतंकवाद की समस्या है. ये सब तो है, लेकिन आखिरकार, उस इलाके में एक ही जीन पूल है. मैं पाकिस्तान गया हूं, और आपको बता दूं, मुझे वहां घर जैसा महसूस हुआ. मैं बांग्लादेश गया हूं, मैं नेपाल गया हूं, और मुझे वहां घर जैसा महसूस हुआ. मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैं किसी विदेशी देश में हूं. वे हमारे जैसे दिखते हैं, हमारी तरह बात करते हैं, उन्हें हमारे गाने पसंद हैं, वे हमारे जैसा खाना खाते हैं. इसलिए, मुझे उनके साथ शांति और सद्भाव से रहना सीखना होगा. यही मेरी प्राथमिकता है.’

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