UP News: राजधानी लखनऊ एसीजेएम (प्रथम) की कोर्ट ने मलाई निकालकर दूध बेचने के बरसों पुराने मामलों में सजा सुनाई. इन मामलों में एक सैंपल 1982, दूसरा 1986 और तीसरा 1988 में लिया गया था.
लैब जांच में तीनों सैंपल में फैट और नॉन फैटी सॉलिड की मात्रा मानक से कम मिली. कोर्ट ने तीनों दूध कारोबारियों पर तीन-तीन हजार रुपये जुर्माना लगाया. इनमें से एक को कोर्ट उठने तक बैठे रहने की भी सजा सुनाई गई.
एफएसडीए ने गोसाईंगंज के सेमराप्रीतपुर निवासी दूध कारोबारी केशव से 22 दिसंबर 1986 को दूध का नमूना लिया था. जांच रिपोर्ट में दूध में नॉन फैटी सॉलिड करीब 22% प्रतिशत कम मिला. इस पर एसीजेएम प्रथम ने 3000 रुपये का अर्थदंड लगाया और कोर्ट उठने तक बैठे रहने की सजा सुनाई.
इसी तरह, इंदिरानगर के जरहरा गांव निवासी रामलाल की केन से 22 जून 1988 को लिया गया नमूना भी फेल हो गया. इसमें फैट 17% कम और नॉन फैटी सॉलिड 30% कम मिला था. कोर्ट ने रामलाल पर तीन हजार रुपये जुर्माना लगाया.
वहीं, अल्लूनगर डिगुरिया निवासी मोतीलाल की केन से 24 अक्टूबर 1982 को सैंपल लिया गया था. इसमें नॉन फैटी सलिड करीब 20% कम मिला था. कोर्ट ने मोतीलाल पर तीन हजार रुपये जुर्माना लगाया.