केंद्र सरकार ने संसद में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक नई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि संगम पर गंगा का पानी महाकुंभ के दौरान स्नान के लिए सही था. संगम वही जगह है जहाँ गंगा यमुना और सरस्वती – तीनों नदियां मिलती हैं. सरकार ने ये भी कहा कि उसने 2022-23, 2023-24 और 2024-25 (9 मार्च तक) में नदी की सफाई के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के जरिये कुल 7 हजार 421 करोड़ दिए.
समाजवादी पार्टी के सांसद आनंद भदौरिया और कांग्रेस सांसद के सुधाकरन के एक सवाल के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ये जवाब दिया. दरअसल, 3 फरवरी की एक रिपोर्ट में, सीपीसीबी ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी – नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) को बताया था कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में कई जगहों पर पानी में उच्च फेकल कोलीफॉर्म के स्तर होने से ये गुणवत्ता के मानक को पूरा नहीं करता.
सीपीसीबी की नई रिपोर्ट में क्या था
हालांकि, 28 फरवरी को एनजीटी को ही सौंपी गई एक नई रिपोर्ट में सीपीसीबी ने कहा था कि एक विश्लेषण से पता चला है कि महाकुंभ के दौरान पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त थी. सीपीसीबी की रिपोर्ट में आए इस बदलाव के पीछे की वजह थी कि पानी के पीछले नमूने नदी के पूरे हिस्से की गुणवत्ता को प्रतिबंधित नहीं करते थे.कमलेश सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य के मामले में एनजीटी ने 23 दिसंबर, 2024 को निर्देश दिया था.
भूपेंद्र यादवने कहा कि इस आदेश के जवाब में सीपीसीबी ने संगम नोज (जहां गंगा और यमुना का संगम होता है) सहित श्रृंगवेरपुर घाट (प्रयागराज के ऊपर) से डीहाघाट (नीचे) तक सात जगहों पर हफ्ते में दो बार जल गुणवत्ता की निगरानी की. ये निगरानी 12 जनवरी से शुरू हुई और इसमें अमृत स्नान के दिन शामिल किए गए. सीपीसीबी ने 3 फरवरी को एनजीटी को अपनी प्रारंभिक निगरानी रिपोर्ट सौंपी. बाद में, सीपीसीबी ने निगरानी बढ़ाई और पानी को स्नान के लिए सही पाया.