भारतीय संस्कृति की आत्मा है संस्कृत, हमें इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना होगा… बोले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रविवार (7 सितंबर) को राजधानी रायपुर में आयोजित विराट संस्कृत विद्वत्-सम्मेलन में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने देश की प्राचीन भाषा संस्कृत पर अपने विचार व्यक्त किए. सीएम ने कहा कि भारतीय संस्कृति की आत्मा संस्कृत में निहित है, जो हमें विश्व पटल पर एक विशिष्ट पहचान प्रदान करती है. उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा व्याकरण, दर्शन और विज्ञान की नींव है, जो तार्किक चिंतन को बढ़ावा देती है.

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सीएम साय ने कहा कि संस्कृत शिक्षा आधुनिक युग में भी प्रासंगिक और उपयोगी है. संस्कृत भाषा और साहित्य हमारी विरासत का आधार हैं, जिन्हें हमें संरक्षित और संवर्धित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि देववाणी संस्कृत पर चर्चा के साथ यह सम्मेलन भारतीय संस्कृति, संस्कार और राष्ट्र को सुदृढ़ बनाने का एक प्रयास है. उन्होंने संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए संस्कृत भारती छत्तीसगढ़ और सरयूपारीण ब्राह्मण सभा छत्तीसगढ़ द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की.

‘संस्कृत से छात्रों का बौद्धिक विकास होगा’

अपने संबोधन में सीएम ने कहा कि आधुनिक शिक्षा में संस्कृत भाषा को शामिल करने से छात्रों का बौद्धिक विकास सुनिश्चित होगा. संस्कृत में वेद, उपनिषद और पुराण जैसे ग्रंथों का विशाल भंडार है, जो दर्शन, विज्ञान और जीवन-मूल्यों का संदेश देते हैं. उन्होंने कहा कि वेदों में वर्णित आयुर्वेद, गणित और ज्योतिष आज भी प्रासंगिक हैं और शोध का विषय हो सकते हैं. इन ग्रंथों में कर्म, ज्ञान और भक्ति के सिद्धांत स्पष्ट रूप से प्रतिपादित हैं, जो आधुनिक जीवन में शांति और संतुलन ला सकते हैं. ऐसे में संस्कृत शिक्षा आधुनिक युग में भी उतनी ही प्रासंगिक और उपयोगी है.

‘युवाओं को संस्कृत साहित्य से जोड़ना जरूरी’

सीएम ने आगे कहा कि वेदों और उपनिषदों के ज्ञान को अपनाकर हम अपनी विरासत को संजोने के साथ-साथ अपने जीवन को भी समृद्ध बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि हमें युवाओं को संस्कृत साहित्य से जोड़ने के लिए प्रेरित करना होगा, ताकि वो इस ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुंचा सकें. उन्होंने कहा कि तकनीक के माध्यम से संस्कृत शिक्षा को आकर्षक और प्रासंगिक बनाया जा सकता है. राज्य में संस्कृत विद्वानों और शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी से इस दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं. उन्होंने आह्वान किया कि इस सम्मेलन के माध्यम से हमें संस्कृत विद्या के प्रचार-प्रसार और अगली पीढ़ी को जोड़ने का संकल्प लेना चाहिए.

विराट संस्कृत विद्वत्-सम्मेलन का आयोजन

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री साय ने सरयूपारीण ब्राह्मण सभा, छत्तीसगढ़ के प्रचार पत्रक का विमोचन भी किया. विराट संस्कृत विद्वत्-सम्मेलन का आयोजन संस्कृत भारती छत्तीसगढ़ एवं सरयूपारीण ब्राह्मण सभा छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया.

सम्मेलन को संबोधित करते हुए संस्कृत भारती के प्रांताध्यक्ष डॉ. दादू भाई त्रिपाठी ने कहा कि इतिहास में ऐसे अनेक प्रमाण मिलते हैं, जिनसे सिद्ध होता है कि एक समय संस्कृत जनभाषा के रूप में प्रचलित थी. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा का संस्कृत से सीधा संबंध है.छत्तीसगढ़ी में पाणिनि व्याकरण की कई धातुओं का सीधा प्रयोग होता है.उन्होंने यह भी बताया कि सरगुजा क्षेत्र में सर्वाधिक आदिवासी छात्र संस्कृत की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

 

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