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फर्जी दस्तावेज से नौकरी पाने वाली शिक्षिका को बचाना BEO और जांच टीम को पड़ सकता है भारी, दस्तावेजों के साथ हुई मामले की शिकायत

फर्जी नियुक्ति और स्थानांतरण आदेश के जरिए नौकरी हथियाने वाली महिला शिक्षिका को गोलमोल जांच रिपोर्ट से बचाने की कोशिश करना विकासखंड शिक्षा अधिकारी पत्थलगांव और दो प्राचार्य को बहुत भारी पड़ सकता है. इस मामले में उच्च कार्यालय में तमाम दस्तावेजों के साथ अधिकारियों की शिकायत की गई है और यह बताया गया है कि किस प्रकार सारे सबूत महिला शिक्षिका के खिलाफ होने के बाद भी विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने दो प्राचार्यों के साथ मिलकर ना केवल गोलमोल रिपोर्ट बनाया बल्कि महिला शिक्षिका को पत्थलगांव में नियुक्त दिखाने के लिए अपनी नौकरी तक को दांव पर लगा दिया.

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महिला शिक्षिका चंद्ररेखा शर्मा पति संजय शर्मा जो की बड़े शिक्षक नेता है की नियुक्ति को लेकर राज्य कार्यालय में शिकायत हुई थी जिसके बाद राज्य कार्यालय ने इस पूरे मामले की जांच के लिए जेडी अंबिकापुर को जिम्मेदारी सौंप थी. उसके बाद जेडी के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी और दो प्राचार्य को मामले में जांच की जिम्मेदारी सौंपी.

जांच के दौरान शासकीय प्राथमिक शाला दर्रापारा (उरांवपारा) की प्रधान पाठक ने स्पष्ट रूप से शपथपूर्वक यह बयान दिया की चित्ररेखा शर्मा ने उनके स्कूल में कभी कार्यभार ग्रहण किया ही नहीं है और आदेश क्रमांक 229 के जरिए नीलम टोप्पो ने कार्यभार ग्रहण किया और अभी तक सेवाएं दे रही हैं. उन्होंने जांच कमेटी को नीलम टोप्पो का आदेश पत्र और स्कूल के उपस्थिति रजिस्टर की प्रतिलिपि भी सौंपी. इसके अतिरिक्त नगर पंचायत पत्थलगांव जो कि तथाकथित रूप से चित्ररेखा शर्मा का नियोक्ता है, उसके पत्र की प्रतिलिपि भी जांच टीम ने राज्य कार्यालय को भेजी है. जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि जांच के 14 बिंदुओं में से किसी भी बिंदु से जुड़े कोई अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं है. इसके बावजूद विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने इतने महत्वपूर्ण जांच के विषय में रिपोर्ट तैयार करते समय गोलमोल तरीके से यह साबित करने की कोशिश की की चंद्र रेखा शर्मा ने विकासखंड पत्थलगांव में में कहीं न कहीं नौकरी की है. उन्होंने ना तो उसे संस्था का पता लगाने की कोशिश की और ना ही चंद्ररेखा शर्मा के वेतन भुगतान की स्थिति जानने की कोशिश की और तमाम दस्तावेज उनके खिलाफ होने के बावजूद उन्होंने निष्कर्ष में यह बताने की कोशिश कर दी कि कहीं न कहीं तो उन्होंने नौकरी की है. उन्होंने यह झूठी रिपोर्ट लिखते समय यह भी ध्यान नहीं दिया की स्थानांतरण आदेश और सेवा पुस्तिका प्रेषण आदेश में भी शासकीय प्राथमिक शाला दर्रापारा (उरांवपारा) में पदस्थापना पश्चात वहां से ट्रांसफर की बात लिखी हुई है. यदि वहां कार्यभार ग्रहण नही हुआ है तो उसका उल्लेख होना ही नहीं था. साथ ही 65 प्रतिशत के साथ एसटी महिला वर्ग से नीलम टोप्पो की नियुक्ति 11 जनवरी को होना और उसी दिन 44 प्रतिशत के साथ चंद्ररेखा शर्मा (सामान्य वर्ग) की नियुक्ति का होना संभव ही नहीं था. जबकि उनके बीच में किसी और का नाम है ही नहीं.

जबकि शिकायतकर्ता ने जिन दस्तावेजों के साथ शिकायत की थी उसमें तमाम तथ्य पहले से ही स्पष्ट थे. अब सूचना के अधिकार से मिले दस्तावेजों के आधार पर एक बार फिर उच्च कार्यालय में जांच टीम की शिकायत की गई है और शिकायत पत्र में लिखा गया है कि जांच टीम ने सही तरीके से जांच न कर मामले के आरोपी को बचाने की कोशिश की है. विभाग के ही अन्य अधिकारियों ने जो दस्तावेज प्रस्तुत किया उसे भी एक प्रकार से अनदेखा करने का प्रयास किया है.

शिक्षाकर्मियों को शुरुआत से वेतन का भुगतान विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा ही किया जाता था और इसके लिए चेकर मेकर सिस्टम तैयार किया गया था. जिसमें विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा बिल तैयार कर प्रेषित किया जाता था और नगर पंचायत या जनपद पंचायत द्वारा उसे चेक किया जाता था. ऐसे में उपस्थिति से लेकर वेतन भुगतान तक की स्थिति की समस्त जानकारी विकासखंड कार्यालय में ही होती है. विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय पत्थलगांव से इस एक बिन्दु पर ही ध्यान रखकर भी यदि मामले की जांच की जाती तो दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता था. लेकिन विकासखंड शिक्षा अधिकारी पत्थलगांव ने इतने महत्वपूर्ण बिंदु को छोड़कर जो निष्कर्ष निकाला वह उच्च अधिकारियों को भी हैरत में डालने वाला है. जिस कर्मचारी की नियुक्ति को लेकर दस्तावेजों के साथ शिकायत हुई हो और जिसके मामले को लेकर स्वयं राज्य कार्यालय ने पत्र जारी किया हो उसकी जांच को लेकर जिस प्रकार उन्होंने किसी न किसी संस्था में कार्यभार ग्रहण की बात लिखी है वह अब सीधे तौर पर उन पर भी सवाल खड़े कर रहा है.

दरअसल विकासखंड शिक्षा अधिकारी पत्थलगांव अब अपने ही भेजे जांच रिपोर्ट से संदेह के घेरे में आ गए हैं. उन्होंने गोल-मोल तरीके से जांच रिपोर्ट में यह लिख दिया कि किसी न किसी अधीनस्थ संस्था में चंद्ररेखा शर्मा ने अपनी सेवाएं दी हैं. इधर विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सर्विस बुक में नीलम टोप्पो के ही आदेश क्रमांक 229 का उल्लेख कर नौकरी हथियाई गई है और सर्विस बुक विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा ने जेडी बिलासपुर को सौंप दी है, जिससे किसी भी दिन मामले का खुलासा हो सकता है. इधर जांच के दायरे को बढ़ाते हुए जेडी बिलासपुर ने बिल्हा के दो पूर्व बीईओ और एक लिपिक को भी तलब किया है. जिन्होंने सर्विस बुक को सत्यापित किया है. जेडी बिलासपुर ने जिन 12 बिंदुओं पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी बिल्हा से जवाब तलब किया था, उससे भी मामले का लगभग खुलासा हो चुका है और अब आरटीआई से मिले दस्तावेज विकासखंड शिक्षा अधिकारी पत्थलगांव और दो प्राचार्य को भी संदेह के घेरे में ला रहे हैं. आखिरकार उन्होंने किसके कहने पर गोल-मोल जांच रिपोर्ट तैयार कर राज्य कार्यालय को प्रेषित किया. पूरे मामले में एक बड़े रैकेट के शामिल होने की बातें चर्चा में है और यह माना जा रहा है कि जिस प्रकार से जेडी बिलासपुर मामले की निष्पक्ष जांच कर रहे हैं. उससे न केवल इस मामले का खुलासा होगा बल्कि कई और अन्य मामले भी निकाल कर सामने आ सकते हैं.

शिक्षक भर्ती सीरीज की पहली स्टोरी आप यहां नीचे दिए गए लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं:

https://vayambharat.com/teacher-appointment-fraud-appointment-and-transfer-of-teacher-leaders-wife-through-fake-documents-fear-of-big-racket-coming-to-light-in-the-case/

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