चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR मामले में निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल किया है. आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से देशभर में संसदीय, विधानसभा या स्थानीय निकाय चुनावों से पहले समयबद्ध तरीके से SIR कराने के निर्देश वाली जनहित याचिका खारिज करने का आग्रह किया है.
‘SIR कराने का निर्णय चुनाव आयोग का’
अपने हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा कि देशभर में चरणबद्ध तरीके से SIR कराने का निर्णय करना निर्वाचन आयोग का संविधान प्रदत्त विशेषाधिकार है. लिहाजा अदालतें इस तरीके से SIR का निर्देश नहीं दे सकतीं. अगर अदालत ऐसा निर्देश देती है तो ये निर्वाचन आयोग के संवैधानिक क्षेत्राधिकार में अतिक्रमण के समान होगा.
निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका को सिरे से खारिज करने का आग्रह किया है. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा था कि यह बिहार वोटर लिस्ट से जुड़ा मामला है.
याचिका में क्या मांग की गई?
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों से पहले ‘मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण’ यानी SIR का निर्देश देने की मांग की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल भारतीय नागरिक ही राजनीति और देश की नीति तय करें, न कि अवैध विदेशी घुसपैठिए.
सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर के खिलाफ कई याचिकाएं
बिहार में अगले कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. प्रक्रियागत तौर पर वहां मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण चल रहा है. विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध करते हुए छह से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की हैं. SIR के खिलाफ याचिका दायर करने वालों में एसोसिएशन फिर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, राजद, पीयूसीएल, कांग्रेस आदि हैं.