स्कूल ग्राउंड में रामलीला पर रोक हटी, SC ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को पलटा

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के रामलीला मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया है. कोर्ट ने फिरोजाबाद में रामलीला जारी रखने का आदेश दिया है. इस रामलीला का आयोजन फिरोजाबाद के टूंडला में एक स्कूल के ग्राउंड में हो रहा था, जिस पर आपत्ति जताई गई थी. मामला पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. हाईकोर्ट ने स्कूल ग्राउंड में गरबा आयोजन पर रोक लगा दी थी. हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि समारोह शुरू हो चुका है, इसलिए यह इस शर्त के साथ जारी रहेगा कि छात्रों को कोई असुविधा न हो. इसके साथ ही कोर्ट ने सवाल किया कि यह आयोजन पिछले 100 सालों से होते आ रहा है. आपने आखिरी समय में कोर्ट का रुख क्यों किया?

सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटते हुए यूपी सरकार, जिला प्रशासन, हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया है. जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एनके सिंह की बेंच ने नोटिस जारी किया है.

कोर्ट में दिया गया ये तर्क

हाईकोर्ट में रिट याचिका में आरोप लगाया गया था कि जिला परिषद विद्यालय, टूंडला-फ़िरोज़ाबाद के खेल के मैदान का उपयोग शाम 7 से 10 बजे के बीच रामलीला के लिए किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप छात्र उस मैदान में नहीं खेल पा रहे हैं, जो मुख्यतः उनके मनोरंजन के लिए है. हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता का अपना तर्क है कि वहां पिछले 100 वर्षों से भी अधिक समय से रामलीला की जा रही है.

हालांकि उन्होंने उत्सव शुरू होने से पहले ही हाईकोर्ट का रुख किया. हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन का पक्ष सुनने के बाद आदेश में निहित अंतरिम निर्देश पारित किए हैं. मामला 04.11.2025 को सूचीबद्ध है. याचिकाकर्ता की शिकायत यह है कि उसे प्रतिवादी पक्ष के रूप में पक्षकार नहीं बनाया गया और उसकी बिना जाने पीछे से आदेश प्राप्त कर लिया गया.

हाईकोर्ट के फैसले के बाद गुस्से में थे लोग

हाईकोर्ट के आदेश के बाद सोमवार को रामलीला का मंचन रुकवा दिया गया था. इससे यहां लोगों में भारी तनाव फैल गया था. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के टूंडला में 100 साल पुरानी रामलीला समारोह पर रोक लगाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दिया है. इसके साथ ही प्रशासन को आदेश दिया है कि इस तरह के मामलों में दूसरे विकल्प जरूर खोजे जाएं.

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