सुप्रीम कोर्ट से कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को एक बड़ा झटका मिला है. कोर्ट ने उनकी यचिका खारिज कर दी. जिसमें उन्होंने अपने ऊपर आय से अधिक संपत्ति के कथित मामले में सीबीआई की ओर से दर्ज केस को रद्द करने की मांग की थी. उपमुख्यमंत्री ने मामले के भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज किए जाने पर आपत्ति जताई थी और सुप्रीम कोर्ट से जांच को खत्म करने की मांग की थी. यचिका खारिज होने के बाद भाजपा ने कहा कि डीके शिवकुमार को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. अब ये देखना होगा कि क्या डिप्टी सीएम इस्तीफा देंगे?
भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने कहा आय से अधिक संपत्ति के मामले को खत्म करने के लिए डीके शिवकुमार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. ये भ्रष्ट कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है. कांग्रेस का मतलब अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नहीं रह गया है. इसका मतलब है मुझे भ्रष्टाचार चाहिए. कांग्रेस द्वारा किए गए भ्रष्टाचार हर जगह उजागर हो रहे हैं.
#WATCH | BJP leader Shehzad Poonawalla says, "DK Shivakumar's petition, filed to do away with the disproportionate assets case, has been dismissed by the Supreme Court. This is a major setback for the corrupt Congress. INC no more means Indian National Congress, it means I need… pic.twitter.com/UwjS1pTP3w
— ANI (@ANI) July 15, 2024
सीएम सिद्धारमैया पर भी उठाए सवाल
उन्होंने कहा कि जब भी कोई फैसला उनके पक्ष में आता है तो वे न्यायपालिका की प्रशंसा करते हैं, अन्यथा वे हमारे लोकतंत्र और हमारी व्यवस्था का दुरुपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ते है. आगे सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि डीके शिवकुमार को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए. सीएम सिद्धारमैया को ये भी बताना चाहिए कि वे MUDA घोटाले और वाल्मीकि घोटाले में सीबीआई जांच से क्यों बच रहे हैं?
इंडिया गठबंधन पर भी बोला हमला
भाजपा नेता इंडिया गठबंधन पर भी हमलावर रहें. उन्होंने कहा कि इसमें भ्रष्ट चेहरे भरे पड़े हैं. अधिकांश नेता जमानत पर बाहर हैं और कुछ को तो जमानत भी नहीं मिली है. आगे उन्होंने कहा कि अपने अपराधों को छिपाने के लिए ये पार्टियां और इनके नेता सिर्फ पीड़ित कार्ड खेलेते हैं. आगे उन्होंने कहा कि कोर्ट जब भी कोई फैसला उनके हित में सुनाती है तो वो अदालत की वाह-वाही करते हैं. लकिन जब फैसला उनके खिलाफ आता है तो वो सवाल उठाने लगते हैं. जांच एजंसियों को दोषी ठहराने लगते हैं.