मैहर में शासकीय भूमि को निजी संपत्ति में बदलने का घोटाला, प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

मैहर: ग्राम भदनपुर दक्षिण पट्टी में शासकीय भूमि को निजी संपत्ति में बदलने का बड़ा घोटाला सामने आया है. आराजी क्रमांक 1067/4, जो हस्तलिखित खसरे में स्पष्ट रूप से शासकीय भूमि के रूप में दर्ज थी, अचानक कंप्यूटरीकरण के बाद निजी संपत्ति में तब्दील हो गई. यह बदलाव न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि सवाल उठाता है कि यह चमत्कारी परिवर्तन कैसे हुआ?

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देशभर में किसी भी एजेंसी ने इस कागजी घोटाले की परतें खोलने की कोशिश नहीं की है, जबकि मैहर प्रशासन ने इस मामले में पूरी तरह से अनदेखा किया है. भूमि के कागजात में हेरफेर करने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करने की हिम्मत भी प्रशासन ने नहीं दिखाई. क्या प्रशासन की शक्ति केवल गरीबों के झोपड़े गिराने तक ही सीमित रह गई है?

 

लगभग 10 साल पहले शुरू हुआ यह भ्रष्टाचार अब एक बड़े वटवृक्ष के रूप में उभर चुका है. भू-माफियाओं को राजस्व अधिकारियों ने अपने संरक्षण में पाला और अब उनकी जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि प्रशासन खुद को असहाय महसूस कर रहा है. सवाल यह भी उठता है कि क्या सरकारी सिस्टम खुद भूमाफियाओं का सहयोग कर रहा है, या फिर प्रशासन किसी बड़े आदेश का इंतजार कर रहा है ताकि जब घोटाला पुराना और धुंधला हो जाए, तब कार्रवाई का दिखावा किया जा सके.

मैहर की जनता को यह जानने का अधिकार है कि शासकीय जमीन को निजी संपत्ति में बदलने वाले कौन लोग हैं, और वह कौन से अधिकारी थे जिन्होंने अपनी कलम से सरकारी जमीन को भूमाफियाओं के हाथों में सौंप दिया. जब तक इन सवालों के जवाब नहीं मिलते और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती, प्रशासन की भूमिका पर संदेह बना रहेगा.

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