जगदलपुर। सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से नक्सलियों ने संगठन स्तर पर कई बड़े फेरबदल किए हैं। बस्तर में सक्रिय देश की इकलौती नक्सल बटालियन को भी नक्सलियों ने कई टुकड़ों में तोड़ दिया है।
अब नक्सली छोटे-छोटे समूहों में गुरिल्ला वार की रणनीति बना रहे हैं, जबकि पहले गर्मियों में नक्सली बड़े हमले करते थे। बस्तर में मार्च, अप्रैल, मई और जून के समय को नक्सली टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) कहते हैं।
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
यह वही समय है, जब जंगल के भीतर दृश्यता बढ़ जाने का लाभ उठाकर नक्सली बड़े हमले करते रहे हैं। टीसीओसी के दौरान हुए हमले में तीन अप्रैल, 2010 को ताड़मेटला हमले में 76 जवान, 25 अप्रैल, 2017 को सुकमा के बुरकापाल में 32 जवान और तीन अप्रैल 2021 को टेकुलगुड़ेम मुठभेड़ में 22 जवान बलिदान हो गए थे, जबकि इस बार स्थिति बदली हुई है।
नक्सलियों के पुनर्वास की सरकार की नई नीति के चलते भी कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। ऐसे लोगों को फिर से मुख्यधारा में जोड़ा जा रहा है। राज्य में शांति स्थापित होने से विकास कार्यों में तेजी आएगी।
14 महीने में मारे गए 304 नक्सली
सुरक्षा बल ने पिछले 14 माह में नक्सलियों के विरुद्ध आक्रामक अभियान करते हुए 304 नक्सलियों को ढेर कर दिया है, जबकि 34 अग्रिम सुरक्षा चौकियां स्थापित की गई हैं। इसके बाद नक्सली भी यह मानकर चल रहे हैं कि टीसीओसी का लाभ फोर्स भी उठा सकती है और संगठन को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है।
पिछली गर्मियों में इसी रणनीति से सुरक्षा बल ने नक्सलियों के विरुद्ध कई बड़े अभियान किए थे। यही कारण है कि जंगल के भीतर से जो जानकारी आ रही है उसके अनुसार नक्सलियों ने इस बार अपने संगठन में भारी बदलाव किया है। कंपनी और प्लाटून स्तर पर भी फेरबदल किया गया है।