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रिश्वत मामले में एसडीएम सस्पेंड, अधिवक्ताओं का आरोप—जल्दबाजी में हुआ फैसला

सुल्तानपुर:  सुल्तानपुर जिले के जयसिंहपुर में 3 दिसंबर को तहसील के पेशकार समरजीत पाल को एंटी करप्शन टीम ने 5,000 रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया.इसके बाद 13 दिसंबर को एसडीएम संतोष कुमार ओझा को सस्पेंड कर दिया गया.अधिवक्ताओं का कहना है कि कार्रवाई जल्दबाजी में की गई है, जिससे वे असंतुष्ट हैं.

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पेशकार ने मांगी थी 25 हजार की रिश्वत

मोतिगरपुर के पारस पट्टी निवासी मोहर्रम अली ने अयोध्या एंटी करप्शन कार्यालय में शिकायत की थी कि पेशकार स्टे देने के लिए 25,000 रुपये की रिश्वत मांग रहा है.एंटी करप्शन टीम ने तहसील के पास से पेशकार को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया.उनके खिलाफ गोसाईंगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया.

एसडीएम पर कार्रवाई के बाद जयसिंहपुर बार एसोसिएशन ने विरोध प्रदर्शन किया.अधिवक्ताओं ने इसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया और इस पर असहमति जताई.उन्होंने सीएम को संबोधित एक मांग पत्र तहसील प्रशासन को सौंपा.

2023 में हुए रिश्वत के चर्चित मामले

नवंबर 2023 में कुड़वार और कादीपुर में दो राजस्व कर्मियों को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया था.कुड़वार के राजस्व निरीक्षक त्रिलोकीनाथ मिश्रा और उनके मुंशी को 8 नवंबर को, जबकि कादीपुर के कानूनगो को 13 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया.इन मामलों में एसडीएम पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी.

2022 में भी नहीं हुई एसडीएम पर कार्रवाई

2022 में रिश्वत के कई मामले सामने आए. सदर तहसील और बल्दीराय में लेखपालों की गिरफ्तारी हुई, लेकिन एसडीएम पर कार्रवाई नहीं हुई.लंभुआ, सदर तहसील, और कादीपुर के राजस्व कर्मी भी एंटी करप्शन टीम के हत्थे चढ़े, लेकिन एसडीएम पर कोई कदम नहीं उठाया गया.

एसडीएम पर कार्रवाई से उठे सवाल

जयसिंहपुर के मामले में एसडीएम पर कार्रवाई ने प्रशासन की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.अधिवक्ताओं का कहना है कि इससे पहले के मामलों में एसडीएम पर कोई कदम नहीं उठाया गया था, तो अब ऐसा क्यों किया गया? मामले ने जिले में प्रशासनिक स्तर पर अलग-अलग मापदंड अपनाने का मुद्दा गर्मा दिया है.

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