नियम के खिलाफ MBBS पीजी में दे दी सीट, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रद्द की पूरी प्रक्रिया

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में MBBS पीजी एडमिशन प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में महाधिवक्ता ने गड़बड़ी स्वीकार की थी, जिस पर कोर्ट ने स्ट्रे राउंड की काउंसिलिंग पर रोक लगा दी थी।

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अब हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आदेश जारी करते हुए नए सिरे से दोबारा काउंसलिंग (री-काउंसलिंग) कराने कहा है। इस फैसले से सभी प्रभावित छात्रों को लाभ मिलेगा।

3 साल की सेवा पूरी करने के नियमों को किया दरकिनार

 

दरअसल, एडमिशन की प्रक्रिया में 3 साल की सेवा पूरी करने के नियमों को दरकिनार कर दिया गया है, जिसके खिलाफ डॉ. यशवंत राव और डॉ. पी राजशेखर हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है।

अयोग्य उम्मीदवारों को भी पात्र मान लिया गया

याचिका में बताया गया है कि मेडिकल पीजी में प्रवेश के लिए होने वाली काउंसिलिंग के दौरान अपात्र उम्मीदवारों को गलत तरीके से सेवारत श्रेणी का लाभ दिया गया। अधिकारियों ने सेवा अवधि की गणना कटऑफ तारीख से आगे बढ़ा दी है, जिससे अयोग्य उम्मीदवारों को भी पात्र मान लिया गया है।

हाईकोर्ट ने स्ट्रे राउंड की काउंसलिंग पर लगाई थी रोक

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने पिछली सुनवाई के दौरान पाया कि एक निजी उम्मीदवार को कटआफ डेट के बाद सीट आवंटित की गई थी, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने भी कोर्ट के सामने शिकायत को सही माना था, जिसके बाद कोर्ट ने स्ट्रे राउंड की काउंसलिंग पर रोक लगा दी थी।

विभाग के अफसरों ने आपत्ति को किया नजरअंदाज

पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने गड़बड़ी की शिकायत विभाग के अफसरों से की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिम्मेदार अधिकारियों ने एक निजी उम्मीदवार को सेवारत श्रेणी में प्रमाणित किया है। जांच में पता चला कि सेवा अवधि की गणना 31 जनवरी 2024 के बाद तक बढ़ा दी गई।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि अगर कटऑफ तारीख का पालन किया जाता, तो वह उम्मीदवार पात्र नहीं होता। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की गड़बड़ियों से योग्य और अनुभवी चिकित्सक पीजी में एडमिशन से वंचित हो गए।

हाईकोर्ट ने पाया कि निजी उम्मीदवार को कटऑफ तारीख के बाद सीट आवंटित की गई। सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने काउंसिलिंग पर रोक लगाने के आदेश दिए थे।

अब प्रवेश प्रक्रिया को निरस्त करने दिया आदेश

इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ताओं के तर्कों के साथ ही शासन के जवाब को भी सुना। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मेडिकल पीजी प्रवेश प्रक्रिया को निरस्त करने का आदेश दिया है। साथ ही राज्य सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग को निर्देशित किया है कि नए सिरे से पूरी प्रक्रिया संचालित करें।

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