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महादेव सट्टा मामले में SEBI की एंट्री, 1000 करोड़ का निवेश, शेयर मार्केट में सट्टेबाजी की काली कमाई

छत्तीसगढ़ में संचालित महादेव सट्टा ऐप में ED, EOW के बाद अब SEBI की एंट्री हो गई है। ED की चार्जशीट में खुलासा हुआ कि महादेव सट्टा ऐप प्रमोटर सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और शुभम सोनी ने सट्टेबाजी की काली कमाई को सफेद करने शेयर मार्केट में 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है। इसी की जांच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) करेगी।

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दरअसल, ED की ओर से पेश की गई 2020 पन्नों की चार्जशीट में इसका खुलासा किया गया है। जांच में कहा गया है कि बड़ी रकम एक जगह कैश रखने के बजाय प्रमोटरों ने ऑनलाइन ही पूरा ट्रांजेक्शन किया। इससे एक ही समय में करोड़ों रुपए के शेयर एक साथ खरीदे गए। ज्यादातर शेयर नामी कंपनियों के हैं, ताकि उन्हें भविष्य में किसी भी तरह का कोई नुकसान न उठाना पड़े।

प्रमोटरों ने फर्जी शैल कंपनियां बनाई

शेयर मार्केट में तगड़ा निवेश करने के लिए प्रमोटरों ने फर्जी शैल कंपनियां बनाई। इसमें ज्यादातर कंपनियां विदेश की दिखाई गई ताकि किसी को शक न हो। ईडी ने हवाला कारोबारी गिरीश तलरेजा और सुरेश चोखानी के गिरफ्तारी के 60 दिन बाद पिछले हफ्ते ही 252 पन्नों का पूरक परिवाद और 2200 पेज के दस्तावेज पेश किए हैं। दैनिक भास्कर के पास भी इस चार्जशीट की कॉपी है।

पिछली सरकार के कुछ प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता

विशेषज्ञों के साथ लगातार इसका अध्ययन करने के बाद इसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। इसमें पिछली सरकार के कुछ प्रभावशाली लोगों का नाम लिए बिना उनकी संलिप्तता को बताया गया है। कैसे राज्य में सुरक्षा निधि​ के नाम पर प्रभावशाली लोग पैसा लेते थे। कानूनी जानकारों के अनुसार शेयर मार्केट में निवेश संबंधित जांच सेबी करती है। इसलिए अब इस मामले की जांच सेबी को दी जा रही है।

निवेश करने शेयर मार्केट के जानकारों की बनाई गई टीम

ED के ​परिवाद के अनुसार आरोपी हरिशंकर टिबरेवाल महादेव सट्टे के प्रमोटर का पार्टनर हैं। दोनों स्काई एक्सचेंज एप में भी प्रमुख साझेदार हैं। दोनों मिलकर सट्टे का पैसा शेयर मार्केट में निवेश कर रहे हैं। इसके लिए अलग से टीम बनाई गई थी। इस टीम में शेयर मार्केट के जानकारों को रखा गया था, जो ट्रेडिंग का काम करते थे। इसमें सूरज चोखानी, नितिन ​टिबरेवाल समेत अन्य लोग शामिल हैं।

अलग-अलग कंपनियों के नाम से शेयर में निवेश

हरिशंकर और नितिन के पास हवाला से पैसा आता था। इस रकम को अलग-अलग कंपनियों के नाम से शेयर में निवेश किया जाता। यही काम सूरज चोखानी, संदीप मोदी, कमल किशोर, प्रशांत बागरी, गिरीश तलरेजा और अन्य करते थे। ईडी नीतिन, गिरीश और सुरेश को पकड़ पाई है। बाकी फरार हैं।

भारतीय कंपनियों में 580 करोड़ की खरीदी-बिक्री की गई

आरोपी हरिशंकर टिबरेवाल के खाते के जांच के दौरान चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। आरोपी ने पार्टनशिप में 29 फरवरी को 429 करोड़ रुपए विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) से किए हैं। जिन कंपनी में पैसा निवेश किया गया है। वह छोटे और मंझोली कंपनियां हैं।

भारतीय कंपनियों के नाम से 580 करोड़ रुपए निवेश

इसमें कोई बड़ी या ज्यादा शेयर वैल्यू वाली कंपनियां नहीं हैं, जबकि ईडी ने भारतीय कंपनियों के नाम से 580 करोड़ रुपए निवेश किए गए हैं। आरोपियों के कुछ विदेशी खाते की जानकारी मिली है। दुबई में बैठे प्रमोटर अब वे बिटकॉइन, क्रिप्टो करेंसी जैसे डिजिटल करेंसी में पैसों को एक्सचेंज करा रहे हैं।

अब तक 1300 करोड़ की संपत्ति की गई अटैच

ED ने महादेव सट्टा मामले में अब तक 1300 करोड़ की संपत्ति को अटैच किया है। इसमें 1.86 करोड़ कैश, 1.78 करोड़ की ज्वेलरी, 580 करोड़ की संपत्ति और शेयर मार्केट में निवेश किया गया पैसा शामिल हैं। छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों में भी स्थित संपत्तियों को अटैच किया गया हैं। इसमें मामले में अब तक 19 गिरफ्तारी हुई है। 30 से ज्यादा लोग फरार हैं।

सट्टे का पैसा इन कंपनियों के नाम से शेयर मार्केट में डाले

ईडी के अनुसार सट्टेबाजी का पैसा एबिलिटी गेम्स प्राइवेट लिमिटेड, एबिलिटी स्मार्ट टेक प्राइवेट लिमिटेड, एबिलिटी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड, ब्रिलिनेंट इन्वेस्टमेंट कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, डिस्कवरी बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड, फॉरेस्ट विनकॉम प्राइवेट लिमिटेड, स्वर्ण भूमि वाणिज्य प्राइवेट लिमिटेड में निवेश किया गया है।

इसके साथ ही ड्रीम अचीवर्स कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड, इकोटेक जनरल ट्रेडिंग एलएलसी कंपनी के अलावा दुबई की कैटलफीड ग्लोबल डीएमसीसी, प्लस कमोडिटीज डीएमसीसी और जेनिथ मल्टी ट्रेडिंग डीएमसीसी में निवेश किया गया है। ईडी को इतनी कंपनियों की जानकारी मिली हैं।

तीन गुना ज्यादा कंपनियां चल रहीं

बताया जा रहा है कि इससे तीन गुना ज्यादा कंपनियां अभी भी चल रही हैं, जिसकी जानकारी सामने नहीं आई है। इसमें ज्यादातर कंपनियों शैल कंपनियां हैं, जो कागजों पर चल रही हैं, लेकिन धरातल में नहीं है। इनसे सिर्फ पैसे निवेश किए जा रहे हैं।

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