SEBI के नए प्लान से हड़कंप! BSE, CDSL समेत इन शेयरों में आई भारी गिरावट

भारतीय शेयर बाजार के नियामक संस्था सेबी (SEBI) के एक संभावित फैसले ने कैपिटल मार्केट से जुड़े कई बड़े शेयरों को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है. दरअसल, सेबी वीकली एक्सपायरी को खत्म करने और ऑप्शन ट्रेडिंग पर नियंत्रण लाने की योजना पर विचार कर रहा है. इस खबर के सामने आते ही BSE, CDSL और मोतीलाल ओसवाल जैसे स्टॉक्स में तेज गिरावट देखने को मिली.

BSE से लेकर CDSL तक के शेयर लुढ़के

सेबी की इस संभावित योजना का सबसे बड़ा असर BSE के शेयर पर पड़ा, जो 3% से ज्यादा गिर गया. वहीं, सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL) और मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (Motilal Oswal Financial Services) के शेयरों में भी करीब 1-1% की गिरावट आई. एंजेल वन (Angel One) के शेयर करीब आधा प्रतिशत फिसल गए. ये गिरावट इसलिए अहम है क्योंकि ये सभी कंपनियां सीधे तौर पर कैपिटल मार्केट से जुड़ी हैं, और अगर ऑप्शन ट्रेडिंग में बदलाव होता है, तो इनके कारोबार पर सीधा असर पड़ सकता है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेबी जल्द ही एक कंसल्टेशन पेपर जारी करने जा रहा है, जिसका मकसद ऑप्शन ट्रेडिंग पर लगाम लगाना है. सेबी और वित्त मंत्रालय की एक बैठक में यह बात सामने आई कि साप्ताहिक एक्सपायरी (weekly expiry) केवल सट्टेबाजी को बढ़ावा दे रही है, जो अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद नहीं है. सेबी अब कई विकल्पों पर विचार कर रहा है. इनमें साप्ताहिक एक्सपायरी को खत्म कर इसे या तो द्विमासिक (bi-monthly) या मासिक (monthly) करना शामिल है. इसके अलावा, ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए मार्जिन आवश्यकताओं को बढ़ाने और कैश ट्रेडिंग के लिए मार्जिन जरूरतों को कम करने की योजना भी है.

इसके अलावा सेबी एक और अहम कदम पर विचार कर रहा है, जिसमें ऑप्शन ट्रेडिंग पर सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) बढ़ाया जा सकता है, जबकि कैश ट्रेडिंग को बढ़ावा देने के लिए STT को कम किया जा सकता है. हालांकि, STT से जुड़े बदलाव अगले साल फरवरी में बजट से पहले संभव नहीं हैं. सेबी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए जल्द ही एक डिस्कशन पेपर जारी करेगा, जिसके बाद इसका बोर्ड अंतिम फैसला लेगा.

 

कैपिटल मार्केट शेयरों पर क्यों पड़ा असर?

सेबी के प्रस्तावित बदलावों का असर कैपिटल मार्केट से जुड़े शेयरों पर साफ दिखाई दे रहा है. अगर साप्ताहिक एक्सपायरी खत्म होती है या ऑप्शन ट्रेडिंग की शर्तें सख्त होती हैं, तो ऑप्शन ट्रेडिंग का वॉल्यूम घट सकता है. इससे एक्सपायरी के दिन बाजार में होने वाली अस्थिरता (वोलैटिलिटी) कम होगी, जिसका सीधा असर इन कंपनियों के राजस्व पर पड़ सकता है. सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने हाल ही में कोलकाता में आयोजित सीआईआई के 11वें कैपिटल मार्केट्स कॉन्क्लेव में कहा था कि एक्सपायरी के दिन इंडेक्स ऑप्शंस का टर्नओवर अंडरलाइंग कैश मार्केट की तुलना में कभी-कभी 350 गुना तक पहुंच जाता है. उन्होंने इसे बाजार के लिए अस्वास्थ्यकर बताया और कहा कि लंबी अवधि की एफएंडओ ट्रेडिंग से बाजार की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है.

91% ट्रेडर्स को हो रहा नुकसान

सेबी की एक हालिया स्टडी ने चौंकाने वाले आंकड़े सामने रखे हैं. वित्त वर्ष 2025 में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) में व्यक्तिगत ट्रेडर्स का शुद्ध नुकसान 41% बढ़कर 1,05,603 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले साल 74,812 करोड़ रुपये था. इसमें ट्रांजैक्शन कॉस्ट भी शामिल है. स्टडी के मुताबिक, 91% यानी 10 में से 9 ट्रेडर्स को एफएंडओ में घाटा हो रहा है. इसके बावजूद, यूनिक इंडिविजुअल ट्रेडर्स की संख्या में दो साल पहले की तुलना में 24% की बढ़ोतरी हुई है, हालांकि सालाना आधार पर इसमें 20% की कमी आई है. खासकर 1 लाख रुपये से कम टर्नओवर वाले ट्रेडर्स की संख्या में सबसे ज्यादा उतार-चढ़ाव देखा गया.

 

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