देश के सभी स्कूलों का होगा सुरक्षा ऑडिट, राजस्थान की घटना के बाद शिक्षा मंत्रालय का निर्देश 

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने स्कूलों में अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट कराने के निर्देश जारी किए हैं. शिक्षा मंत्रालय की ओर से इसे अनिवार्य बताया गया है. यह कदम राजस्थान की उस घटना के बाद उठाया गया है, जब एक स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई और कई बच्चे मलबे में दब गए.

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शिक्षा मंत्रालय की ओर से  स्कूलों के सुरक्षा ऑडिट को लेकर विस्तृत दिशा निर्देश और सुझाव की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर भी दी गई है. इसके तहत   सभी स्कूलों को सुरक्षा ऑडिट का पालन करना होगा, जिसमें अग्नि सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और एक रिपोर्टिंग तंत्र भी शामिल है.

क्या है राजस्थान की घटना

राजस्थान के झालावाड़ में शुक्रवार को एक सरकारी स्कूल का छत गिर गया. इस हादसे में 7 बच्चे की मौत हो गई.साथ ही दर्जनों बच्चे मलबे में दबकर घायल हो गए. बताया जाता है कि जिस वक्त यह हादसा हुआ, स्कूल में 60 बच्चे मौजूद थे.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शिक्षा मंत्रालय के आधिकारिक हैंडल @EduMinOfIndia की ओर से एक पोस्ट शेयर किया गया है. इसमें लिखा गया है कि  शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश जारी किया है.

इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा संहिताओं के अनुसार स्कूलों और बच्चों से संबंधित सुविधाओं का अनिवार्य सुरक्षा ऑडिट, कर्मचारियों और छात्रों कोआपातकालीन तैयारियों का प्रशिक्षण, और परामर्श एवं सहकर्मी नेटवर्क के माध्यम से मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना शामिल है.

स्कूल में सुरक्षा को लेकर दिए गए सुझाव

1. स्कूल के सभी सेफ्टी मेजर्स की जांच

बच्चों और युवाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले सभी स्कूलों और सार्वजनिक सुविधाओं का राष्ट्रीय सुरक्षा संहिताओं और आपदा प्रबंधन दिशानिर्देशों के अनुसार सुरक्षा ऑडिट किया जाना चाहिए. फायर सेफ्टी, इमरजेंसी एग्जिट, इलेक्ट्रिक वायर और स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर का गहन मूल्यांकन किया जाना चाहिए.

2. जागरूकता और प्रशिक्षण:

कर्मचारियों और छात्रों को आपातकालीन तैयारियों का प्रशिक्षण देना सुनिश्चित किया जाए. इसमें इमरजेंसी मॉक ड्रिल, प्राथमिक उपचार और सुरक्षा प्रोटोकॉल शामिल हो. स्थानीय अधिकारियों (एनडीएमए, अग्निशमन सेवाएं, पुलिस और चिकित्सा एजेंसियां) के सहयोग से ऐसे प्रशिक्षण और मॉक ड्रिल स्कूल में आयोजित किए जाएं.

3. शारीरिक के साथ मानिसक स्वास्थ्य का भी मिले प्राथमिकता

शारीरिक सुरक्षा के अलावा मानसिक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता दी जाए. इसके लिए काउंसिलिंग और सामुदायिक सहभागिता की पहल स्कूल में जरूरी है.

4. समय पर किसी भी चूक या नुकसान की सूचना दी जाए

बच्चों या युवाओं को संभावित नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी खतरनाक स्थिति या घटना की सूचना 24 घंटे के भीतर राज्य या केंद्र शासित प्रदेश प्राधिकरण को दी जानी चाहिए. देरी, लापरवाही या कार्रवाई न करने की स्थिति में सख्त जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए.

5. सार्वजनिक उत्तरदायित्व का महत्व बताया जाए

माता-पिता, अभिभावकों, सामुदायिक नेताओं और स्थानीय निकायों को सतर्क रहने और स्कूलों, सार्वजनिक क्षेत्रों या बच्चों और युवाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले परिवहन के साधनों में असुरक्षित स्थितियों की सूचना देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षा विभागों, स्कूल बोर्डों और संबद्ध अधिकारियों से उपरोक्त उपायों को इन सुझावों बिना किसी देरी के लागू करने  का आग्रह किया है.

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